नई दिल्ली। देश में विश्व स्तरीय शिक्षा संस्थान बनाने के लिए सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 में 400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। यह राशि पिछले वर्ष के संशोधित अनुमानों की तुलना में तीन गुना से भी अधिक है। केन्द्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन ने आज लोकसभा में 2019-20 का आम बजट पेश करते हुए यह जानकारी दी।
वित्त मंत्री ने आश्वस्त किया कि सरकार देश की उच्च शिक्षा प्रणाली को विश्व की एक बेहतरीन शिक्षा प्रणाली बनाने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आएगी। नई नीति में स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों में बड़े बदलाव का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें अन्य बातों के अलावा बेहतर प्रशासन तथा अनुसंधान और नवाचार पर भी जोर दिया गया है।
वित्त मंत्री ने अनुसंधान और नवाचार के उद्देश्यों की पूर्ति के तहत अनुसंधान कार्यों के वित्त पोषण, समन्वय और प्रोत्साहन के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एनआरएफ) क गठन किये जाने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि एनआरएफ यह सुनिश्चित करेगा कि देश में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और मूल विज्ञान के विषयों पर अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को प्रयासों और खर्चों में दोहराव के बिना सशक्त बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि अनुसंधान कार्यों के लिए सभी मंत्रालयों में उपलब्ध कोष को एनआरएफ में समायोजित किया जाएगा और इसके लिए अतिरिक्त धन की पर्याप्त व्यवस्था भी की जाएगी।
श्रीमती सीतारामन ने ‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा करते हुए कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य विदेशी छात्रों को भारत के उच्च शिक्षा संस्थाओं में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा कि भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन के लिए एक बिल का मसौदा आने वाले साल में पेश किया जाएगा। इससे उच्च शिक्षा प्रणाली के नियमन में बड़े सुधार लाने, शिक्षा संस्थान ज्यादा स्वायत्ता देने तथा बेहतर अकादमिक परिणाम प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
श्रीमती सीतारामन ने कहा कि खेलो इंडिया योजना का पर्याप्त वित्तीय मदद के साथ विस्तार किया जाएगा और सभी स्तर पर खेलों को लोकप्रिय बनाने के लिए इस योजना के तहत खिलाडि़यों के विकास के लिए राष्ट्रीय खेल शिक्षा बोर्ड का गठन किया जाएगा।
सरकार की हाल की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि जहां पांच साल पहले तक एक भी भारतीय शिक्षा संस्थान विश्व के 200 शीर्ष विश्वविद्यालयों की सूची में नही था, वही आज देश के दो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान तथा बेंगलूरू के भारतीय विज्ञान संस्थान ने आज इसमें अपनी जगह बना ली है। उन्होंने कहा कि देश की शिक्षा संस्थाओं द्वारा गुणवत्ता में सुधार तथा अपनी विश्वसनीयता को बेहतर तरीके से स्थापित करने के कारण ही यह संभव हो पाया है।
श्रीमती सीतारामन ने शिक्षा नीति का और ब्यौरा देते हुए कहा कि ‘स्वयं’ के जरिये की गई ऑनलाइन ओपन पाठ्यक्रम की पहल ने छात्र समुदाय के वंचित वर्ग के लिए डिजिटल डिवाइड को पाटने में काफी मदद की है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षण गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए वैश्विक अकादमिक नेटवर्क पहल (ज्ञान) कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य विश्व स्तर पर उपलब्ध वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं तक पहुंच बनाना है। उन्होंने कहा कि देश की जरूरतों के अनुरूप कुछ विशेष क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की चुनौतियों से निपटने की एक प्रभावी रूपरेखा तय करने के लिए प्रभावी अनुसंधान नवाचार और प्रौद्योगिकी योजना )इम्प्रिंट( की शुरूआत आईआईटी और आईआईएससी की संयुक्त पहल के रूप में की गई है। देश के उच्च शिक्षण संस्थान अब नवाचार का केन्द्र बनते जा रहे है।