10 साल तक लगातार 8.85 फीसदी रिटर्न, BANK FD से 2.5 फीसदी ज्यादा

Bhopal Samachar
बाजार में अनिश्चितता का दौर जारी है। इक्विटी हो या म्यूचुअल फंड रिटर्न पर दबाव बना हुआ है। ज्यादातर शेयर या फंड निगेटिव रिटर्न दे रहे हैं। ऐसे में अगर आपको भी बाजार में निवेश से डर लग रहा है तो मंगलवार से निवेश का नया विकल्प खुल चुका है, जहां 10 साल तक हर साल 8.85 फीसदी रिटर्न कमाने का मौका है। यानी बैंक एफडी की तुलना में करीब 2.5 फीसदी ज्यादा रिटर्न। टाटा कैपिटल के नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर यानी NCD ने निवेशकों को यह वादा किया है। बेस इश्यू साइज 500 करोड़ का है। कंपनी के पास इसे और 3626 करोड़ रुपये बढ़ाने का विकल्प है। इसमें निवेशक 23 अगस्त तक आवेदन कर सकते हैं।

कंपनी का प्लान (8.35% से 8.85% ब्याज)

टाटा कैपिटल ने NCD के लिए अलग अलग प्लान पेश किए हैं। ये प्लान 3 साल, 5 साल, 8 साल और 10 साल तक के लिए हैं। इसमें सालाना ब्याज दर 8.35% से 8.85% तक तय किए गए हैं। यानी बड़े बैंक के एफडी से करीब 2.5 फीसदी ज्यादा ब्याज निवेश पर मिल सकता है।

कितनी रकम निवेश कर सकते हैं

NCD के एक बांड की फेस वैल्यू 1000 रुपये है और कम से कम 10 बांड में निवेश करना जरूरी है। यानी न्यूनतम 10 हजार रुपये आपको निवेश करना होगा। इसके बाद 1000 रुपये के मल्टीपल में निवेश हो सकता है। इस एनसीडी की लिस्टिंग शेयर बाजार पर कराई जाएगी। नॉन रेसिडेंट इंडियंस (NRI’s) इसमें निवेश नहीं कर सकते हैं।

किसने कितनी रेटिंग दी है

-CRISIL ने AAA/स्टेबल रेटिंग दी है।
-CARE ने AAA(स्टेबल) क्रेडिट रेटिंग दी है।

NCD क्या होता है?

अगर आप रेग्युलर इनकम चाहते हैं तो नॉन-कंवर्टिबल डिबेंचर (NCD) बेहतर विकल्प है, इसे रेग्युलर इनकम को ध्यान में रखकर ही लाया जाता है। NCD किसी कंपनी की ओर से जारी किए गए एक तरह के बॉन्ड होते हैं। इन पर ब्याज दरें तय होती हैं, जो कंवर्टिबल डिबेंचर के मुकाबले ज्यादा होती हैं। ये सिक्योर्ड या अनसिक्योर्ड हो सकते हैं। सिक्योर्ड का मतलब गारंटी की जरूरत से है, वहीं अनसिक्योर्ड में गारंटी की जरूरत नहीं होती है।

बैंक FD की तुलना में आकर्षक

एनसीडी के तहत ब्याज दरें बैंक एफडी के तहत आकर्षक हैं। एसबीआई सहित ज्यादातर बैंक 5 साल तक की एफडी पर 6.25 से 6.75 फीसदी के आस पास ही सालाना ब्याज दे रहे हैं। ऐसे में निवेशकों के पास करीब 2.5 फीसदी तक ज्यादा ब्याज पाने का मौका है। डेट म्यूचुअल फंड्स के रिटर्न में भी पिछले एक साल में काफी उतार-चढ़ाव आया है और निवेशकों को इस कैटेगरी में निराशा हाथ लगी है।
(हम यहां निवेश की सलाह नहीं दे रहे हैं। ये रिपोर्ट कंपनी के ऑफर को लेकर बनाई गई है। निवेश से पहले एडवाइजर की सलाह जरूर लें।)

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