जिन पौधों को खरपतवार की श्रेणी में मानकर बेकार समझ लिया जाता है, वह भी अत्यंत दुर्लभ औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। आज एक ऐसी ही औषधीय वनस्पति दूधी जो बरसात के मौसम में हिमालय की तलहटी और मैदानी क्षेत्रों में बहुतायत में पाई जाती है, उसके औषधीय गुणों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। यह वनस्पति श्वास नलिका की सूजन को कम करने, मासिक रक्तस्राव, श्वेत प्रदर, खूनी आंव में बेहद कारगर है। Milky grass is found in the foothills and plains of the Himalayas during the rainy season. This plant is very effective in reducing inflammation of respiratory tract, menstrual bleeding, leucorrhoea, bloody goose.
घास के रूप में नजर आने वाली दूधिया घास मिल्क एडम के नाम से भी जानी जाती है। संस्कृत में इसे दुग्धिका, नागार्जुनी के नाम से जाना जाता है। यूफोरबिया हिरता लेटिन नाम से प्रचलित यह वनस्पति अपनी रोयेंदार पत्तियों और तनों से निकलने वाले दूध (लेटेक्स) के लिए जानी जाती है। इसकी 2 प्रजातियां बड़ी दूधी और छोटी दूधी पाई जाती है। दूधी नाम के अनुरूप स्तनपान कराने वाली माताओं में दुग्ध की वृद्धि करता है। चेहरों पर होनेवाले कील, मुहांसों में भी दूधी का दूध काफी लाभकारी होता है। दूधी का स्वरस कनेर के पत्तों के स्वरस के साथ मिलाकर लगाने से बालों का सफेद होना और झड़ना रुक जाता है।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय देहरादून के डॉ. नवीन जोशी (एमडी आयुर्वेद) बताते हैं कि महिलाओं में माहवारी से संबंधित समस्या में हरी दूधी को छाया में सुखाकर कूटकर देने से मासिक स्राव नियंत्रित होता है। खूनी दस्त और आंव में भी दूधी से काफी लाभ मिलता है। महिलाओं में होने वाली लिकोरिया (श्वेतप्रदर) की समस्या में भी दूधी काफी लाभ देती है। इसकी जड़ को साफ कर 3 से 5 ग्राम की मात्रा में छानकर दिन में दो से तीन बार देने से श्वेतप्रदर की समस्या में काफी लाभ मिलता है। दूधी का प्रयोग पैर में गड़े कांटे को निकालने में भी अक्सर वैद्य करते हैं। कांटे वाले स्थान में दूधी को पीसकर लेप करने से कांटा निकल जाता है।