BABULAL GAUR STORY: पूरा जीवन पार्टी को दिया, पार्टी ने अंतिम इच्छा भी पूरी नहीं की

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर नहीं रहे। सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि का दौर शुरू हो गया है। उन्हे भाजपा का महान नेता बताया जा रहा है। इस सबके बीच कड़वा सच यह है कि वो अधूरे मन से विदा हुए हैं। उन्होंने अपना सारा जीवन भाजपा के लिए खर्च कर दिया परंतु पार्टी ने उनकी अंतिम इच्छा तक पूरी हीं की। वो अपने जीवन का अंतिम चुनाव लड़ना चाहते थे। वो पूर्व मुख्यमंत्री नहीं बल्कि विधायक और एक जनप्रतिनिधि के तौर पर दुनिया से विदा होना चाहते थे। 

बाबूलाल गौर ने पार्टी के लिए क्या किया था

बाबूलाल गौर (जन्म- 2 जून, 1930, उत्तर प्रदेश) 'भारतीय मज़दूर संघ' के संस्थापक सदस्य हैं। बाबूलाल गौर सन 1946 से ही 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ' से जुड़ गए थे। उन्होंने दिल्ली तथा पंजाब आदि राज्यों में आयोजित सत्याग्रहों में भी भाग लिया था। श्री गौर आपात काल के दौरान 19 माह की जेल भी काट चुके हैं। 1974 में मध्य प्रदेश शासन द्वारा बाबूलाल गौर को 'गोवा मुक्ति आन्दोलन' में शामिल होने के कारण 'स्वतंत्रता संग्राम सेनानी' का सम्मान प्रदान किया गया था। 

यूपी का लाल, भोपाल का लाड़ला

जीवन परिचय बाबूलाल गौर का जन्म 2 जून, 1930 को नौगीर ग्राम, प्रतापगढ़ ज़िला (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री रामप्रसाद था। बाबूलाल गौर ने अपनी शैक्षणिक योग्यताओं में बी.ए. और एल.एल.बी. की डिग्रियाँ प्राप्त की हैं। वो मंडीदीप में मजदूरी करने आए थे फिर भोपाल के ही होकर रह गए। अपने जीवन के अंतिम दिवस तक वो भोपाल के सबसे लोकप्रिय नेता थे। उन्हे मध्य प्रदेश का महान मजदूर नेता माना जाता है। भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक हैं। 

भाजपा को कभी हारने नहीं दिया

आंदोलनों के बाद पार्टी ने उन्हे चुनावी राजनीति​ में उतरने का आदेश दिया। श्री गौर पहली बार 1974 में भोपाल दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में जनता समर्थित उम्मीदवार के रूप में निर्दलीय विधायक चुने गये थे। वे 7 मार्च, 1990 से 15 दिसम्बर, 1992 तक मध्य प्रदेश के स्थानीय शासन, विधि एवं विधायी कार्य, संसदीय कार्य, जनसम्पर्क, नगरीय कल्याण, शहरी आवास तथा पुनर्वास एवं 'भोपाल गैस त्रासदी' राहत मंत्री रहे। वे 4 सितम्बर, 2002 से 7 दिसम्बर, 2003 तक मध्य प्रदेश विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। उमा भारती के बाद वो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। फिर शिवराज सिंह सरकार में मंत्री भी रहे। इसी दौरान एक साजिश के तहत उनसे मंत्रीपद से इस्तीफा ले लिया गया था। 

बाबूलाल गौर की आन्दोलनों में भूमिका

श्री गौर 1946 से 'राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ' के स्वयंसेवक हैं। वे 'भारतीय मज़दूर संघ' के संस्थापक सदस्य हैं। वे 1956 से 'भारतीय जनसंघ' के सचिव भी रहे हैं। इन्होंने राजनीति में सक्रिय होने के पूर्व भोपाल की कपड़ा मिल में नौकरी भी की और श्रमिकों के हित में अनेक आंदोलनों में भाग लिया। इसके अलावा श्री गौर ने राष्ट्रीय स्तर के अनेक राजनीतिक आंदोलनों में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। इनमें प्रमुख रूप से आपात काल के विरोध में आंदोलन, गोवा मुक्ति आंदोलन, दिल्ली में बेरूवाड़ी सहित पंजाब आदि राज्यों में आयोजित सत्याग्रहों में सक्रिय भागीदारी निभाई। श्री गौर ने आपात काल के दौरान 19 माह तक जेल की सजा भी भुगती।

बाबूलाल गौर की सफलताएँ 

1974 में भोपाल दक्षिण विधान सभा क्षेत्र से आप पहली बार चुने गए थे। सन 1977 में वे गोविन्दपुरा विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और वर्ष 2003 तक वहाँ से लगातार सात बार विधान सभा चुनाव जीतते रहे। उन्होंने 1993 के विधान सभा चुनाव में 59 हजार 666 मतों के अंतर से विजय प्राप्त कर कीर्तिमान रचा था। श्री गौर ने 2003 के विधान सभा चुनाव में 64 हजार 212 मतों के अंतर से विजय प्राप्त कर अपने ही कीर्तिमान को तोड़ दिया। वे दसवीं विधान सभा 1993-1998 में भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक, सभापति, लोकलेखा समिति, सदस्य सरकारी उपक्रम समिति, विशेषाधिकार समिति आदि के सदस्य रहे तथा संगठन में नगरीय निकाय के प्रभारी तथा प्रदेश महामंत्री भी रहे।

बाबूलाल गौर किन पदों पर रहे

ग्यारहवीं विधान सभा 1999-2003 में बाबूलाल गौर नेता प्रतिपक्ष बनने के पूर्व 'भारतीय जनता पार्टी' के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे। श्री गौर को 8 दिसम्बर, 2003 को नगरीय प्रशासन एवं विकास, विधि एवं विधायी कार्य, आवास एवं पर्यावरण, श्रम एवं भोपाल गैस त्रासदी राहत मंत्री बनाया गया। उन्हें 2 जून, 2004 को गृह, विधि एवं विधायी कार्य तथा भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री बनाया गया था। बाबूलाल गौर 23 अगस्त, 2004 से 29 नवंबर, 2005 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उन्हें 4 दिसम्बर, 2005 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में वाणिज्य, उद्योग, वाणिज्यिक कर रोज़गार, सार्वजनिक उपक्रम तथा भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के मंत्री के रूप में शामिल किया गया था और 20 दिसंबर, 2008 को उन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में फिर से सम्मिलित किया गया।

पार्टी ने क्या दिया

जब तक भाजपा कमजोर थी, उसे सीटों की जरूरत रहती थी, पार्टी बाबूलाल के पीछे खड़ी नजर आई लेकिन जैसे ही भाजपा को बहुमत के लिए अनिवार्य सीटें मिलने लगीं, उसने बाबूलाल गौर को किनारे करना शुरू कर दिया गया। उनके जीवन का सबसे दुखद दिन था जब उम्र को आधार बनाकर बिना उन्हे सहमत किए, एक प्रकार की साजिश रचकर उनसे मंत्री पद से इस्तीफा ले लिया गया था। उनकी अंतिम इच्छा थी कि वो एक चुनाव और लड़ें, फिर चाहे वो विधानसभा हो या लोकसभा। भोपाल में दिग्विजय सिंह के सामने भाजपा के पास कोई प्रत्याशी नहीं था फिर भी पार्टी ने बाबूलाल गौर का टिकट नहीं दिया। उनकी अंतिम इच्छा अधूरी ही रह गई। 

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!