भोपाल। केंद्र सरकार ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के 22 वरिष्ठ अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है। सीबीआईसी ने सोमवार को बताया कि सुपरिंटेंडेंट रैंक के ये अफसर भ्रष्टाचार और अन्य मामलों में आरोपी हैं। इसलिए सेंट्रल सिविल सर्विसेज (पेंशन) रूल्स, 1972 के तहत जनहित में कार्रवाई के मूलभूत अधिकार का इस्तेमाल कर सरकार ने इन्हें रिटायर कर दिया।
इन 22 अब अफसरों में से 9 भोपाल जोन के हैं। भोपाल जोन के जिन अफसरों पर कार्रवाई हुई, उनमें कैलाश वर्मा, केसी मंडल, एमएस डामोर, आरएस गोगिया, किशोर पटेल, जेसी सोलंकी, एसके मंडल, गोविंद राम मालवीय एवं एयू छपरगाये शामिल हैं। इन सभी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई। ये सभी भोपाल, इंदौर, रायपुर और नागपुर कमिश्नरेट में पदस्थ हैं।
इनमें सात अफसर कैलाश, केसी, डामोर, गोगिया, पटेल, सोलंकी, मंडल के पास इंदौर की एलोरा टोबैको कंपनी की निगरानी की जिम्मेदारी थी, जबकि एयू छपरगाये के खिलाफ सीबीआई ने रिश्वतखोरी की जांच की थी। केंद्र सरकार की इस कार्रवाई से पूरे विभाग में हड़कंप है। इसमें 20 साल की नौकरी अथवा 50 साल की उम्र का मापदंड रखा गया है।
3 महीने का वेतन देकर बाहर किया
बताया जाता है कि विभाग ने दो दिन पहले अचानक इन सभी अधिकारियों को तीन महीने का अग्रिम वेतन देकर घर बैठा दिया। उन्हें एक नोटिस थमाकर ही विभाग का यह फरमान सुना दिया गया। टैक्स अफसरों के खिलाफ जून से अब तक इस तरह की तीसरी कार्रवाई की गई है। इससे पहले सीबीआईसी के कमिश्नर स्तर के 15 और आयकर विभाग के 12 अधिकारियों को हटाया गया था।