भोपाल। भोपाल से मंडीदीप और इंदौर से पीथमपुर तक के लिए मेट्रो रेल के दूसरे और तीसरे फेज का सर्वे और डीपीआर बनाने का रास्ता साफ हो गया है। सोमवार को नई दिल्ली में केंद्र, राज्य सरकार और मप्र मेट्रो रेल कंपनी के बीच एमओयू (समझौता पत्र) साइन हुआ। इस दौरान केंद्र ने मेट्रो के दूसरे व तीसरे चरण यानी भोपाल से मंडीदीप और इंदौर से पीथमपुर तक मेट्रो की डीपीआर पर काम करने की हरी झंडी दे दी। भोपाल और इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी करेगी।
यह स्पेशल पर्पज ह्वीकल (एसपीवी) की तरह काम करेगी। भोपाल और इंदौर में मेट्रो प्रोजेक्ट अब जल्द गति पकड़ेगा, क्योंकि अब फंडिंग की समस्या हल हो जाएगी। एमओयू के दौरान केंद्रीय शहरी और आवास मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी और प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धन सिंह मौजूद रहे। केंद्रीय कैबिनेट से प्रोजेक्ट को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है। पूर्व में प्रोजेक्ट में पहले राज्य की 25 और केंद्र की 20 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।
अब केंद्र व राज्य सरकार की 20-20 फीसदी की हिस्सेदारी होगी। बाकी राशि मप्र मेट्रो रेल कंपनी कर्ज लेकर, पीपीपी व अन्य स्रोत से फंड जुटाएगी। संभावना जताई जा रही है कि भोपाल में 2023 तक मेट्रो चल सकती है।
ऐसे होगा क्रियान्वयन
- कंपनी का एक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स होगा। इसमें 10 डायरेक्टर होंगे।
- केंद्र सरकार बोर्ड के चेयरमैन सहित 5 डायरेक्टर नामित करेगी।
- प्रदेश सरकार मैनेजिंग डायरेक्टर सहित 5 डायरेक्टर नॉमिनेट करेगी।
- प्रोजेक्ट में आने वाली कठिनाइयों के जल्द निराकरण के लिए प्रदेश सरकार मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी बनाएगी। कमेटी में संबंधित विभागों के प्रमुख सचिव भी शामिल होंगे।
- भारत सरकार प्रोजेक्ट के टेक्निकल स्टैंडर्ड और स्पेसिफिकेशन्स को मंजूरी देगी। सुरक्षा का सर्टिफिकेट मेट्रो रेलवे सेफ्टी के कमिश्नर देंगे।
जमीन अधिग्रहण, शिफ्टिंग पर राज्य खर्च करेगा 250 करोड़
मप्र मेट्रो रेल कंपनी केंद्र व राज्य सरकार की 50-50 की ज्वाइंट वेंचर की होगी। प्रोजेक्ट में प्रदेश सरकार भूमि अधिग्रहण, पुर्नस्थापन और पुनर्वास में आने वाला करीब 250 करोड़ रुपए का खर्च उठाएगी। भारत सरकार इक्विटी शेयर केपिटल खरीदेगी, जिससे प्रोजेक्ट के लिये बहुपक्षीय और द्विपक्षीय लोन की सुविधा मिल सकेगी।
यह है प्रोजेक्ट...भोपाल में 6941 करोड़, इंदौर में 7500 करोड़ होगा खर्च
- नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने बताया कि भोपाल मेट्रो रेल प्रोजेक्ट में 27.87 किलोमीटर में दो कॉरिडोर बनेंगे। पहला करोंद सर्किल से एम्स तक 14.99 किलोमीटर और दूसरा भदभदा से रत्नागिरि चौराहा तक 12.88 किलोमीटर का होगा। इसकी कुल लागत 6941 करोड़ 40 लाख रुपए होगी। भोपाल मेट्रो के लिए यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक से लोन लेगी।
-इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट में 31.55 किलोमीटर की रिंग लाइन बनेगी। यह बंगाली चौराहा से विजयनगर, भंवरकुंआ, एयरपोर्ट होते हुए पलासिया तक जाएगी। इसकी कुल लागत 7500 करोड़ 80 लाख है। इंदौर मेट्रो के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक तथा न्यू डेवलपमेंट बैंक से लोन भी लिया जाएगा।
वर्तमान में पहले फेज का काम चालू
बता दें कि करोंद सर्कल से एम्स तक पहले कॉरीडोर के आधे हिस्से का काम शुरू किया गया है। 277 करोड़ रुपए की लागत से एम्स से सुभाष नगर तक करीब पौने सात किमी लंबे एलिवेटेड कॉरीडोर का काम चल रहा है। जियोटेक्निकल व अन्य सर्वे हो चुके हैं अब सिविल वर्क चल रहा है। अब दूसरे फेज के तहत भदभदा से रत्नागिरी चौराहे वाले हिस्से का काम चालू हो सकेगा।