भोपाल। बड़े तालाब के एफटीएल की मार्किंग के लिए मुनारें लगाने से पहले लाल निशान लगाया जाएगा। जो मुनारें तालाब में डूबी हुईं हैं उन पर भी लाल निशान लगाया जाएगा। एफटीएल पर जहां तक पानी का फैलाव है उस पर लाल निशान लगाने के बाद मुनारें भी लगाई जाएंगी। इस बारिश में बड़ा तालाब अपने फुल टैंक लेवल तक आ गया है, इसलिए उसके फैलाव की पहचान बहुत आसान हो गई है।
इस बार निजी जमीन पर भी मुनारें लगाईं जाएंगी। इन जमीन के मालिक को स्पष्ट कर दिया जाएगा कि जब यह क्षेत्र नो कंस्ट्रक्शन जोन में शामिल है तो यहां एक मुनार लगाने से क्या परेशानी है? नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने रविवार को सुबह तीन घंटे बड़े तालाब का निरीक्षण किया। उन्होंने खानूगांव से बैरागढ़ होते हुए कोलांस नदी होते हुए बिसनखेड़ी तक तालाब का निरीक्षण किया।
दुबे ने निगम आयुक्त बी विजय दत्ता से तालाब के एफटीएल के पचास मीटर के दायरे में अतिक्रमण और उनकी रोकथाम के बारे में पूछा। इसके बाद उन्होंने कहा कि जब पानी एफटीएल तक आ गया है तो डिमार्केशन आसान होगा। हालांकि बािरश में नई मुनारें लगाना संभव नहीं है, इसलिए अभी लाल निशान से मार्किंग कर लें। पानी उतरने के बाद मुनारें लगवाएं।
जानकारी के अनुसार बड़े तालाब पर कुछ साल पहले 943 मुनारें लगाईं गईं थीं। तीन साल पहले हुए सर्वे में 143 मुनारें गायब हो गईं हैं। हाल में यह बात सामने आईं कि भैंसाखेड़ी क्षेत्र में 10 से ज्यादा मुनारें लोगों ने उखाड़ कर फेंक दीं गई हैं। दुबे के निर्देश के तत्काल बाद निगम ने टीमें बना ली हैं। सोमवार से लाल निशान लगाने का काम शुरू हो जाएगा।
मास्टर प्लान की भी तैयारी
यह दौरा भोपाल मास्टर प्लान की भी तैयारी है। टीएंडसीपी के डायरेक्टर राहुल जैन भी दौरे में साथ थे। टीएंडसीपी मास्टर प्लान में तालाब के कैचमेंट के लिए भी डेवलपमेंट रुल्स तैयार कर रहा है। दुबे ने कहा कि आकलन के बाद प्लान में की जाने वाली अनुशंसाओं के बारे में बेहतर निर्णय लिया जा सकता है।
बिल्डिंग परमिशन की जांच कराएं
दुबे ने खानूगांव, बैरागढ़ और अन्य क्षेत्रों में एफटीएल से 50 मीटर के दायरे में अतिक्रमण और निर्माण देख कर निर्देश दिए कि हर निर्माण की बिल्डिंग परमिशन की जांच कराएं और उन्हें हटाने की कार्रवाई करें।