भोपाल। भोपाल के बड़े तालाब का भाग्य अब मजदूरों के हवाले कर दिया गया है। फुल टैंक लेवल तय करने के लिए सोमवार को नगर निगम अधिकारियों की टीमें फील्ड के लिए निकली तो थी परंतु पहुंची नहीं। हां दिहाड़ी मजदूर आए और दिनभर एफटीएल पर लाल निशान लगाते रहे। यानी अब ये दिहाड़ी मजदूर भोपाल का भाग्य तय करेंगे।
मजदूर भीगे हुए पेड़ों के तनों और पत्थरों पर लाल पेंट पोतते नजर आए। यह हाल तब है, जबकि नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने एक दिन पहले ही निगम को एफटीएल के पॉइंट पर नए सिरे से निशान लगाने के निर्देश दिए थे। पीएस दुबे ने रविवार को निगम आयुक्त बी विजय दत्ता के साथ झील के किनारों का जायजा लिया था।
उन्होंने पानी घटने से पहले जहां तक पानी है, वहां लाल निशान लगाकर एफटीएल का दायरा तय करने को कहा था। बाद में इन निशानों पर मुनारें लगाई जाएगी। इसके बाद नगर निगम के झील संरक्षण प्रकोष्ठ के अधिकारियों को टीमों के साथ इस काम में लगाया गया था।
200 पेड़ों पर लगाए निशान
नगर निगम अमले ने सोमवार को सुबह 11 बजे से सीहोर नाका भैंसाखेड़ी से एफटीएल में जहां तक पानी भरा था, वहां के पेड़ों पर लाल निशान लगाना शुरू किया। शाम पांच बजे तक काम चला। बैरागढ़ तक 200 से ज्यादा पेड़ों पर लाल निशान लगाए गए।
पाथवे पर मिट्टी हो रही डंप
इधर, खानूगांव में सीवेज फिल्टर प्लांट के सामने निगम के डंपर मिट्टी डंप करने में लगे थे। डंपरों से मिट्टी खानूगांव से ही लाकर रिटेनिंग वॉल के पाथ-वे पर डंप की जा रही थी। इसकी पानी से दूरी 10 से 15 फीट होगी। जहां मिट्टी डंप की जा रही थी, उससे 10 फीट की दूरी पर एफटीएल तय करने के लिए लगाया गया मुनारा साफ देखा जा सकता था।
झील संरक्षण प्रकोष्ठ के प्रभारी संतोष गुप्ता: पहले झूठ बोला, फिर झल्लाने लगे
इधर, बड़ी झील के एफटीएल पर कहां-कहां और कितने लाल निशान लगाए गए, इस संबंध में जब नगर निगम के झील संरक्षण प्रकोष्ठ के प्रभारी इंजीनियर संतोष गुप्ता से पूछा गया, तो पहले तो उन्होंने गुमराह करते हुए टीम के खानूगांव में होने की बात कही। जब उनसे कहा गया कि टीम खानूगांव में नहीं है, तो उनका जवाब था कि मुझे कुछ नहीं पता है, इस बारे में आप पीआरओ से पूछें।