भोपाल। करीब 2 करोड़ रूपए बाजार मूल्य, तीन किग्रा अल्प्राजोलम के साथ पकड़े गए मंदसौर के मां-बेटे से पूछताछ में अहम खुलासे हुए हैं। मादक पदार्थों की खरीद-फरोख्त करने वालों के बीच इसे ‘सफेद चांदी’ के नाम से जाना जाता है। बता दें कि 'अल्प्राजोलम' एक ऐसी नशीली दवा है जो कोल्डड्रिंक में मिलाकर आसानी से पिलाई जा सकती है। इससे लड़कियों की झिझक दूर हो जाती है और शरीर में उत्तेजना आने लगती है।
‘सफेद चांदी’ कोडवर्ड था
इसकी खपत देश के हर उस शहर में है, जहां डांस बार और विदेशी टूरिस्ट की तादात ज्यादा रहती है। यासमीन उसे ही इसकी डिलीवरी देती थी, जिससे पहले फोन पर एक बार बात हो गई हो। तभी तय हो जाता था कि तस्करी के दौरान यासमीन किस रंग के कपड़े पहनेगी और डिलीवरी लेने वाला क्या पहनकर आएगा? तय रेलवे स्टेशन पर उतरते ही पूछा जाता था सफेद चांदी! हां में जवाब मिलते ही आउटर पर डिलीवरी कर दी जाती थी।
हवाला के जरिए पेमेंट होता था
एसपी एसटीएफ भोपाल राजेश सिंह भदौरिया के मुताबिक आउटर पर अल्प्राजोलम डिलीवर करते ही खरीदार 25 फीसदी पेमेंट कैश कर देता था। बाकी 75 फीसदी पेमेंट हवाला के जरिए होता था। मंदसौर की यासमीन पति नूर मोहम्मद और उसके बेटे शाबिर हुसैन को एसटीएफ ने भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 6 के पास ऑटो स्टैंड से गिरफ्तार किया था। टीम उसे लेकर बुधवार को मंदसौर स्थित उसके घर पहुंची। सर्च में टीम को 200 ग्राम अल्प्राजोलम और मिला है। दोनों गुरुवार शाम तक पुलिस रिमांड पर हैं।