इंदौर। इंदौर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों की रोशनी जाने के मामले में आखिरकार छत्रीपुरा पुलिस ने हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुधीर महाशब्दे और मेडिकल सुप्रिंटेंडेंट डॉ. सुहास बांडे (Medical Director Dr. Sudhir Mahabardhe and Medical Superintendent Dr. Suhas Bande) के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। दोनों के खिलाफ धारा 336, 337 और 338 के साथ 34 लगाई गई है।
इसके लिए प्रशासन और सीएमएचओ डॉ. प्रवीण जड़िया को काफी मशक्कत करना पड़ी। पुलिस दस्तावेजों में कमी बताकर केस दर्ज नहीं कर रही थी। सीएमएचओ ने बुधवार और गुरुवार को थाने में करीब सात घंटे बिताए। इसके बाद अपर कलेक्टर कैलाश वानखेड़े ने पुलिस अफसरों को फोन किए, तब गुरुवार शाम चार बजे एफआईआर दर्ज हो सकी। दोनों डॉक्टरों पर जो धाराएं लगाई गई हैं, वह तब लगती हैं, जब कोई अपना काम इस तरह उपेक्षापूर्वक करे कि इससे किसी के जीवन पर खतरा आ जाए।
धारा 336 में अधिकतम तीन माह की सजा व ढाई सौ रुपए अर्थदंड, धारा 337 में अधिकतम छह माह की सजा व 500 रुपए अर्थदंड और 338 में अधिकतम दो साल की सजा व एक हजार रुपए का अर्थदंड लगता है। धारा 34 अपराध में एक से अधिक लोगों के होने पर लगती है। यह सभी धाराएं जमानती हैं, यानी थाने से ही जमानत मिल जाएगी और गिरफ्तारी की नौबत नहीं आएगी व कोर्ट में केस चलेगा। गौरतलब है कि मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान 15 मरीजों को संक्रमण हुआ था जिनमें से 5 की आंखों की रोशनी चली गई थी।
धारा 336 में अधिकतम तीन माह की सजा व ढाई सौ रुपए अर्थदंड, धारा 337 में अधिकतम छह माह की सजा व 500 रुपए अर्थदंड और 338 में अधिकतम दो साल की सजा व एक हजार रुपए का अर्थदंड लगता है। धारा 34 अपराध में एक से अधिक लोगों के होने पर लगती है। यह सभी धाराएं जमानती हैं, यानी थाने से ही जमानत मिल जाएगी और गिरफ्तारी की नौबत नहीं आएगी व कोर्ट में केस चलेगा। गौरतलब है कि मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान 15 मरीजों को संक्रमण हुआ था जिनमें से 5 की आंखों की रोशनी चली गई थी।