GWALIOR NEWS : 50 करोड़ के जेवरात से सजेंगे फूलबाग केे राधा-कृष्ण

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ग्वालियर। जन्माष्टमी पर फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर में भगवान राधाकृष्ण का श्रृंगार इस बार भी 50 करोड़ के जेवरातों से होगा। यह जेवरात प्राचीन है और सिंधिया राजवंश के हैं, जो उन्होंने मध्यभारत की सरकार के समय गोपाल मंदिर को ही सौंप दिये थे। इन वेशकीमती जेवरातों में हीरे, जवाहरात और पन्ना जड़े हैं। जेवरातों में राधाकृष्ण के श्रृंगार को देखते हुए 23 अगस्त जन्माष्टमी पर नगर निगम आयुक्त संदीप माकिन और पुलिस प्रशासन ने मंदिर में व्यवस्थाएं चाक चौबंद करने के निर्देश दिये हैं।

फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर में स्थापित भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमा को वेशकीमती जेवरात से सुसज्जित करने की परम्परा आजादी के पूर्व से है, जब सिंधिया राजपरिवार के लोग व रियासत के मंत्री, दरबारी व आम लोग जन्माष्टमी पर दर्शनों को आते थे। और भगवान राधाकृष्ण को इन वेशकीमती जेवरातों से सजाया जाता था। लेकिन आजादी के बाद मध्यभारत की सरकार बनने के बाद गोपाल मंदिर व उससे जुडी संपत्ति जिला प्रशासन व निगम प्रशासन के अधीन हो गई हैं। इसलिये अब यह आभूषण नगर निगम की संपत्ति हैं। इनके वेशकीमती होने के कारण इनको नगर निगम ने निगम के खजाने व फिर चोरी होने के डर से बैंक लॉकरों में रखवा दिया था। और वर्षों तक यह बैंक के लॉकरों में रखे रहे।लेकिन 2007 में जब डॉ. पवन शर्मा ने निगमायुक्त की कमान संम्हाली तो उन्होंने निगम की संपत्तियों की पड़ताल कराई, उसमें इन वेशकीमती जेवरातों की जानकारी मिली। 

उसके बाद उन्होंने तत्कालीन महापौर विवेक शेजवलकर से बात कर गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी के दिन भगवान राधाकृष्ण की प्रतिमाओं को इन जेवरातों से श्रृंगार कराने की परंम्परा शुरू कराई। इसके बाद तत्कालीन आयुक्त एनबीएस राजपूत, वेदप्रकाश, विनोद शर्मा, अनय द्विवेदी ने भी इसका पालन किया अब वर्तमान निगम आयुक्त संदीप माकिन ने भी इन जेवरातों से राधा कृष्ण की प्रतिमाओं को सुसज्जित करने की प्लानिंग की है।

सिंधिया राजवंश के समय बनवाये गये भगवान राधाकृष्ण के जेवरातों में हीरे जवाहरात से जडा स्वर्ण मुकुट, पन्ना और सोने का सात लडी का हार, 249 शुद्ध मोती की माला, हीरे जडे कंगन, हीरे व सोने की बांसुरी, प्रतिमा का विशालकाय चांदी का छत्र, 50 किलो चांदी के बर्तन, भगवान श्रीकृष्ण व राधा के झुमके, सोने की नथ, कंठी, चूडियां, कड़े, भगवान की समई, इत्रदान, पिचकारी, धूपदान, चलनी, सांकडी, छत्र, मुकुट, गिलास, कटोरी, कुंभरकरणी, निरंजनी आदि शामिल हैं।

इसके वेशकीमती होने का अंदाजा इस बात से लगाया जाता है कि इसके सोने के मुकुट की कीमत ही दो करोड के ऊपर है। इसमें पुखराज और माणिक जडा है और बीच में पन्ना लगा है। इसमें लगा पन्ना ही 20 लाख के आसपास है।

जेवरातों की बाजार दर काफी मंहगी होने के कारण जन्माष्टमी के दिन यहां दो सैकडा से अधिक जवान तैनात किये जायेंगे। पूरा गोपाल मंदिर पुलिस छावनी में तब्दील होगा और प्रत्येक दर्शनार्थी पर सीसीटीवी की नजर रहेगी। इस बार भी भगवान राधाकृष्ण के दर्शन हेतु डेढ़ से दो लाख भक्तों के यहां आने की संभावना है, इसी बात को ध्यान में रखकर निगम प्रशासन यहां व्यवस्था में लगा है।
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