इंदौर। INDORE EYE HOSPITAL के डॉक्टरों की योग्यता पर सवाल खड़ा हो गया है। मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने आए 11 मरीज अंधे हो गए। सरकार ने अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने के आदेश दिए हैं। जिम्मेदारों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिए हैं एवं अस्पताल का ऑपरेशन थियेटर सील कर दिया गया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी प्रवीण जड़िया ने शनिवार को बताया कि आठ अगस्त को राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत इंदौर आई हॉस्पिटल में 13 मरीजों के मोतियाबिंद ऑपरेशन किये गये थे। इनमें से तीन मरीजों को ठीक होने के पश्चात निजी अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी थी। लेकिन शेष 11 मरीजों ने आंखों की रोशनी बाधित होने की शिकायत की है।
जड़िया ने कहा, "पहली नजर में लगता है कि मोतियाबिंद ऑपरेशनों के दौरान कथित संक्रमण से मरीजों की आंखों की हालत बिगड़ी। संक्रमण के कारणों की जांच की जा रही है। बिगड़े मोतियाबिंद ऑपरेशनों के शिकार 11 मरीजों की उम्र 45 से 85 वर्ष के बीच है। इनमें शामिल रामी बाई (50) ने रुआंसे स्वर में कहा, "मुझे कुछ भी दिखायी नहीं दे रहा है।"
इस बीच, जिलाधिकारी लोकेश कुमार जाटव ने बताया कि निजी अस्पताल का ऑपरेशन थियेटर सील कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि बेहतर इलाज के लिये सभी मरीजों को अन्य निजी अस्पताल में भेजा गया है। इंदौर, प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसीराम सिलावट का गृह नगर है। सिलावट ने मोतियाबिंद ऑपरेशनों के बिगड़ने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि मामले की जांच के लिये इंदौर सम्भाग के आयुक्त (राजस्व) की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति बनाने के आदेश दिये गये हैं।
आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 11 मरीजों की आंखों की रोशनी चली जाने के मामले में सरकार ने कड़ी कार्रवाई करते हुए अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करने, एफआईआर दर्ज करने के साथ ही ओटी को सील करवा दिया है। इस मामले की जांच के लिए सात सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। वहीं रेडक्रास से 20 हजार रुपए की तत्काल मदद के साथ ही सभी पीड़ितों के मुफ्त इलाज की व्यवस्था की है। मरीजों को चोइथराम अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मामले में संज्ञान लेते हुए पीड़ितों को 50-50 हजार रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है।
इंदौर के गोविंदराम सेकसरिया ट्रस्ट के आई हॉस्पिटल में डॉक्टरों की लापरवाही से 11 लोगों की आंखों की रौशनी चली गई मामला सामने आने के बाद प्रशासन ने अस्पताल के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की है। स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने दोषियों को कड़ी सजा दिलवाने की बात कहते हुए जांच के लिए सात सदस्यीय कमेटी गठित की है। दोषी डॉक्टरों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की बात कही है।
पीड़ितों के इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाएगी
वहीं मामले में मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेते हुए पीड़ित मरीजों को चोइथराम अस्पताल में भर्ती कराया है। इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाएगी। मुख्यमंत्री ने पीड़ितों को 50-50 हजार रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है। पूरे मामले में कलेक्टर लोकेश जाटव ने भी तत्काल जांच के निर्देश दिए हैं। इस मामले की जांच अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी करेंगे। इस बात की भी जांच की जाएगी कि अस्पताल प्रबंधन ने किस तरह की लापरवाही बरती है। वहीं मरीजों का इलाज विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम से कराया जा रहा है चेन्नई से भी आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर राजीव रमन को इलाज के लिए बुलाया गया है।
इसी अस्पताल में दिसंबर 2010 में भी हो चुके हैं ऑपरेशन फेल
इंदौर आई हॉस्पिटल में दिसंबर 2010 में भी मोतियाबिंद के ऑपरेशन फैल हो गए थे, जिसमें 18 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। इस पर तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. शरद पंडित ने संबंधित डॉक्टर व जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा की। 24 जनवरी 2011 को अस्पताल को मोतियाबिंद ऑपरेशन व शिविर के लिए प्रतिबंधित कर दिया। ओटी के उपकरण, दवाइयां, फ्ल्यूड के सैंपल जांच के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब भेजे गए। इसके बाद शिविरों के लिए सीएमएचओ की मंजूरी अनिवार्य कर दी। कुछ महीने बाद अस्पताल पर पाबंदियां रहीं, फिर इन्हें शिथिल कर दिया। 2015 में बड़वानी में भी इसी तरह की घटना में 60 से ज्यादा लोगों की रोशनी चली गई थी।