ग्वालियर। जीवाजी क्लब की वार्षिक सामान्य बैठक (AGM) काफी हंगामेदार रही। बैठक में सचिव डॉक्टर नीरज कौल पर वित्तीय गड़बड़ी के ना केवल संगीन आरोप लगे बल्कि बैठक में जोरदार मांग यह भी उठी कि सचिव को बर्खास्त किया जाए। ऐसा हो पाता इससे पहले सचिव के तरफदार भी आ गए और उन्होंने कहा कि जब माफी से काम चल सकता है तो फिर सचिव को पद से हटाने का कोई मतलब नहीं रहा है।
क्लब के सदस्यों का कहना है कि जीवाजी क्लब के 30 लाख रुपए सचिव ने अपने जीवाजी क्लब के एजीएफ सचिव पर गबन का आरोपके खाते में बिना किसी की मंजूरी के डाल दिए। यह रकम फरवरी 2018 में ट्रांसफर की गई और जब हल्ला मचा तो डेढ़ साल बाद क्लब के खाते में राशि वापस जमा की गई। यह गंभीर वित्तीय अनियमितता है इस पर सचिव के खिलाफ एक्शन होना चाहिए।
इस मामले में सचिव नीरज कौल ने कहा कि क्लब का खता सीज होने वाला था। क्लब पर वित्तीय संकट ना आए इसलिए यह रकम उन्होंने एक संस्था के खाते में ट्रांसफर की थी। सचिव ने कहा कि यह 30 लाख रकम उन्होंने 1 लाख रुपए ब्याज सहित क्लब के खाते में वापस जमा करवाई है। इससे सिर्फ वे लोग परेशान है तो चुनाव में मुझसे मात खा गए।
तीन सदस्यीय कमेटी बनाई
सचिव ने इस बात से इनकार किया है कि उनकी वित्तीय पॉवर सीज कर दिए गए हैं पर जानकार कहते है कि क्लब के लेन-देन के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है जिसमें हेमेश दंडौतिया, राकेश अग्रवाल और मुकेश अग्रवाल को शामिल किया गया है। अब सारा लेन-देन इन्हीं तीन लोगों की मंजूरी के बाद क्लब में हो रहा है।