सतेंद्र कुमार पाठक। वर्तमान में सभी विभागों में कर्मचारियों के हित एवं प्रशासनिक जरूरतों के हिसाव से स्थानांतरण का दौर जारी है। शिक्षा विभाग में भी स्थानांतरण के कई आदेश जारी हो चुके है जिससे वर्षों से इंतज़ार कर रहे शिक्षक लाभान्वित हो रहे है। पूर्व ने ट्राइबल ब्लाक से एजुकेशन ब्लाक में स्थानांतरण ना होने के कारण कर्मचारी परेशान हो रहे थे किन्तु शिक्षा विभाग ने इस वार प्रतिनियुक्ति पर स्थानांतरण प्रक्रिया चालु करने से उन्हें उचित स्थान पर पहुचने की उम्मीद जगी है।
किन्तु अत्यंत खेद का विषय है की यह ट्राइबल से एजुकेशन का प्रतिबंध राज्य शिक्षा केंद्र, भोपाल जो स्कूल शिक्षा का ही एक अंग है, के संविदा कर्मचारियों पर लागू है। इन संविदा कर्मचारिओं की नियुक्ति प्रक्रिया व्यापम एवं एमपी ऑनलाइन से प्रदेश स्तर से होने के कारण पुरे प्रदेश में घर से 700 से 1000 किलोमीटर पर आदिवासी विकासखंडों में कई वर्षों से पदस्त है| कई संभाग तो एसे भी है जहाँ आदिवासी विकासखंडों की संख्या या तो नही है या तो 1 ही है जैसे रीवा संभाग में केवल 1 ट्राइबल ब्लाक कुष्मी है जो सीधी जिले में स्थिति है एसी स्थिति में रीवा संभाग के दूर पदस्त संविदा कर्मी एजुकेशन में जगह खाली होने के बाद भी स्थानांतरण नही ले पा रहे है।
वही एजुकेशन ब्लाक में पदस्त संविदा कर्मी जो कम दूरी और सामान्य परिस्थिति होने पर भी अपने सीनियर कर्मचारी से पहले स्थानांतरण प्राप्त कर रहे है जिससे 1000 किलोमीटर दूर आदिवासी विकासखण्ड में पदस्त कर्मचारिओं के अपने गृह जिले अथवा उसके आस पास सीनियर होने के वावजूद स्थानांतरण के सपने चूर-चूर हो रहे है।
सभी कर्मचारिओं को स्थानांतरण के सामान अवसर मिले इस प्रकार की नीति बना कर राज्य शिक्षा केंद्र, भोपाल को संविदा कर्मियों के स्थानांतरण करना चाहिए जिससे अतिदूर पदस्त कर्मचारिओं को भी स्थानांतरण के अवसर मिल सके।