रतिराम गाडगे। प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रदेश में बड़ा खेल, खेल रहे हैं। जिसका परिणाम क्या होगा इसका अंदाजा अभी वो नही लगा पा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं। उस विभाग की जहां से देश का भविष्य बनना तय होता हैं, शिक्षा विभाग को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मजाक बना दिया हैं। मुख्यमंत्री ने जो स्थान्तरण की नीति अपनाईं हैं वो मई, जून में फाइनल हो जाना चाहिए, मगर ऐसा नही हुआ। शिक्षा सत्र के दौरान स्थान्तरण नीति अमल में लाई गई। जिससे शिक्षा प्रणाली चौपट हो गयी।
शिक्षक विहीन शालाओं में हर बर्ष गेस्ट टीचर की भर्ती की जाती थी लेकिन वर्तमान शिक्षा सत्र को दो माह बीत गया बाबजूद माध्यमिक शालाओं में विषयवार अतिथि शिक्षक की भर्ती नही हुई। वही सितंबर माह के लास्ट बीक में तिमाही परीक्षा का आयोजन किया जायेगा। जिसका मुल्यांकन भी किया जायेगा ऐसी स्थिति में छात्र और अभिभावक क्या करें उन्हें कुछ समझ नही आ रहा है।
इधर ध्यान देने की बात है। ग्रामीण, नगरी क्षेत्र में संचालित शासकीय स्कूलों में अधिकॉश गरीब, छात्र अध्ययनरत रहतें है। ऐसी स्थिति को मजाक न कहा जाये तो क्या कहा जाऐं। थोकबंद स्थानतरण होने पर स्कूल दर स्कूल शिक्षक विहीन हो गये। अब शिक्षक विहीन स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की भर्ती नही की जा रही है। और ऐसा माना जा रहा माह सितंबर में व्यापंम परिणाम के बाद मैरिट के आधार पर भर्ती होगी अगर भर्ती में कोई रोड़ा नही बना तो इस पूरी प्रक्रिया में अक्टूबर नबंवर माह बीत जायेगा और दिसंबर में छमाही परीक्षा का आयोजन किया जायेगा।
इस प्रकार मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पेरेंटस और छात्रो के साथ बडा मजाक का खेल,खेल कर उनका भबिष्य चौपट कर रहें है। वो इस बात का अंदाजा नही लगा पा रहे है। कि इसका परिणाम क्या होगा।