नई दिल्ली। भारत में घुटने की बीमारी महामारी का रूप ले चुकी है। एक अध्ययन के अनुसार, 15 करोड़ से अधिक भारतीय घुटने की समस्याओं से परेशान हैं। ज्यादातर लोग घुटनों के दर्द के लिए KNEE REPLACEMENT SURGERY सर्जरी करवाते हैं परंतु क्या आप जानते हैं, अकेले KNEE REPLACEMENT SURGERY से कुछ नहीं होता आपको पूरी लाइफ स्टाल बदलनी पड़ती है। यदि नहीं बदलेंगे तो आपको KNEE REPLACEMENT SURGERY का लम्बे समय तक फायदा नहीं होगा।
ज्वाइंट रजिस्ट्री (आईएसएचकेएस) के आकड़ों के अनुसार, पिछले साल भारत में 35,000 से अधिक टोटल नी रिप्लेसमेंट (टीकेआर) सर्जरी की गईं। आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि, 45-70 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं पर टीकेआर का 75ः से अधिक प्रदर्शन किया गया था। टीकेआर के 33,000 यानी 90 प्रतिशत से अधिक मामले ऑस्टियोआर्थराइटिस के थे। पिछले 5 वर्षों में टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के मामलों में वृद्धि देखी गई है। यह बीमारियां लाइफ स्टाइल के कारण आईं और आगे भी बनी रहेंगी। TOTAL KNEE REPLACEMENT SURGERY आपको तभी आराम देगा जब आप अपनी लाइफ स्टाल बदलने के लिए तैयार हों।
KNEE REPLACEMENT SURGERY फेल भी हो जाती है
वैशाली स्थित सेंटर फॉर नी एंड हिप केयर के वरिष्ठ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. अखिलेश यादव के अनुसार प्राइमरी नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के दौरान, घुटने के जोड़ को एक इंप्लान्ट से बदला जाता है, जो अधिकांश मामलों में सफल होता है लेकिन कभी-कभी यह इंप्लान्ट ढ़ीला पड़ जाता है या बाहर आने लगता है, जिसके कारण नी रिप्लेसमेंट की प्रक्रिया को दोबारा करना पड़ता है। स्थिति के आधार पर, इस सर्जरी में इंप्लान्ट के कुछ कंपोनेंट का बदलाव या यूनीकम्पार्टमेंटल ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट या कंप्लीट रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ सकती है।
सर्जरी के बाद वजन बढ़ता है
डॉ. अखिलेश यादव का कहना है कि जीवनशैली अक्सर सर्जरी के बाद वजन बढ़ा देती है। इसलिए नियमित हल्की एक्सरसाइज और योग के साथ संतुलित और पोष्टिक आहार लेने की सलाह दी जाती है। 2 महीने के अंत तक यदि आप 1-1.5 किलोमीटर चल पा रहे हैं, तो आप बिल्कुल सही जा रहे हैं। जिन मरीजों को डायबिटीज होती है, उन्हें सर्जरी के महीनों बाद भी संक्रमण होने का खतरा रहता है, इसलिए इसकी नियमित रूप से जांच की जानी चाहिए। नियमित एक्सरसाइज और ब्रिस्क वॉक से दोबारा टोटल नी रिप्लेसमेंट की जरूरत नहीं पड़ती है।