इंदौर। सफलता किसे बुरी लगती है परंतु कई बार सफलता भी फ्रस्टेशन / FRUSTRATION लाती हैै। व्यक्ति को अपनी जीत में ही अपनी हार नजर आने लगती है। शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा ज्यादा होता है। कई बार टीचर अपने सबसे टेलेंटेड स्टूडेंट से चिढ़ने लगता है। इंदौर में कुछ ऐसा ही हुआ है। यहां प्रतियोगी परीक्षाओं के टीचर ने सफलता के शिखर पर पहुंच कर फांसी लगा ली।
चंदन नगर पुलिस के अनुसार सिरपुर में रहने वाले 38 साल के चेतन चौहान (Chetan Chauhan) ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। चेतन कोचिंग क्लास (Coaching class) चलाते थे और छात्रों को प्रतियोगी परिक्षाओं (Competitive examinations) के साथ अन्य विषयों की तैयारी करवाते थे। चेतन द्वारा पढ़ाए गए लगभग सभी छात्रों की अच्छी सरकारी नौकरी लग गई थी। चेतन ने भी सरकारी नौकरी के लिए कई परीक्षा दी थी लेकिन उसका चयन अब तक नहीं हुआ था।
ईश्वर ने उन्हे कोच के रूप में भेजा था परंतु वो प्लेयर बनकर मैदान में उतर रहे थे। बतौर टीचर वो लगातार सफल हो रहे थे। ऐसे टीचर / ऐसी कोचिंग की सबको तलाश होती है, जहां से निकले छात्रों को सरकारी नौकरी मिल जाए। यह चेतन सर का सुनहरा समय था परंतु वो खुद को एक प्रतियोगी के दायरे से बाहर नहीं निकाल पाए और बतौर प्रतियोगी लगातार मिल रहीं असफलताओं के कारण निराशा व अपने ही पढ़ाए स्टूडेंट्स की सफलता से आई घुटन ने चेतन सर की जान ले ली।
चंदन नगर पुलिस के अनुसार सिरपुर में रहने वाले 38 साल के चेतन चौहान (Chetan Chauhan) ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। चेतन कोचिंग क्लास (Coaching class) चलाते थे और छात्रों को प्रतियोगी परिक्षाओं (Competitive examinations) के साथ अन्य विषयों की तैयारी करवाते थे। चेतन द्वारा पढ़ाए गए लगभग सभी छात्रों की अच्छी सरकारी नौकरी लग गई थी। चेतन ने भी सरकारी नौकरी के लिए कई परीक्षा दी थी लेकिन उसका चयन अब तक नहीं हुआ था।
ईश्वर ने उन्हे कोच के रूप में भेजा था परंतु वो प्लेयर बनकर मैदान में उतर रहे थे। बतौर टीचर वो लगातार सफल हो रहे थे। ऐसे टीचर / ऐसी कोचिंग की सबको तलाश होती है, जहां से निकले छात्रों को सरकारी नौकरी मिल जाए। यह चेतन सर का सुनहरा समय था परंतु वो खुद को एक प्रतियोगी के दायरे से बाहर नहीं निकाल पाए और बतौर प्रतियोगी लगातार मिल रहीं असफलताओं के कारण निराशा व अपने ही पढ़ाए स्टूडेंट्स की सफलता से आई घुटन ने चेतन सर की जान ले ली।