भोपाल। निहत्थे नागरिकों को घेरकर गोलियों से भून डालने की घटना केवल 13 अप्रैल 1919 को पंजाब के जलियांवाला बाग में ही नहीं हुई थी बल्कि ऐसी घटनाएं आगे भी होतीं रहीं। 1930 में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के 'चरण पादुका' नामक कस्बे में भी असहयोग आंदोलन में शामिल गांधीवादियों को गोलियों से भून दिया गया था। क्योंकि यह कस्बा दिल्ली के नजदीक नहीं था इसलिए इतिहास में दर्ज भी नहीं हो पाया।
Bundelkhand charan paduka goli kand
1930 में महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन अपने पूरे शबाब पर था जिसका खासा असर बुंदेलखंड पर भी देखने को मिला। यहां भी विदेशी चीजों का बहिष्कार और देशी सामानों को कैसे बढ़ावा दिया जाए इसको लेकर आसपास के गांव के लोग नरम दल के लोग लगातार बैठकर कर रहे थे। 1930 में छतरपुर जिले के चरण पादुका नामक कस्बे में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया था जिसमें लगभग सात हजार लोग शामिल हुए।
chhatarpur charan paduka goli kand
इस जनसभा में आंदोलनकारी नेताओं ने अपने भाषणों में स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने, लगान भुगतान न करने की अपील की थी। सभा में मौजूद लोगों ने एकजुट होकर ऐलान किया कि वो लगान अदा नहीं करेंगे। जिसके बाद राजनगर के निकट खजुवा गांव में लोगों पर लोगों पर गोलियां बरसाई गई। घटना में सैकड़ों आंदोलनकारी घायल हो गए थे जिनमें कुछ बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे।
Names of martyrs in Chhatarpur Charan Paduka firing incident
14 जनवरी 1931 का वह काला दिन, जबकि मकर संक्रांति के मेले में चरणपादुका में हो रही सभा को अंग्रेजों की सेना ने घेर लिया। आमसभा में उपस्थित निहत्थे लोगों पर बेरहमी से मशीनगनों और बंदूकों से गोलियों की बौछार की गई। इस गोली चालन में 21 लोगों की मृत्यु हुई और 26 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
छतरपुर चरणपादुका गोलीकांड में शहीदों के नाम
स्वतंत्रता के इस यज्ञ में अपनी आहुती देने वाले बलिदानियों में पिपट के सेठ सुन्दरलाल बरोहा, छीरू कुरमी, बंधैया के हलकई अहीर, खिरवा के धर्मदास और गुना बरवा के रामलाल शामिल थे। इसके बाद 21 व्यक्ति गिरफ्तार किये गए। इनमें से सरजू दउआ को चार वर्ष तथा शेष 20 को तीन तीन वर्ष के सश्रम कारवास की सजा सुनाई गई।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद चरण पादुका बलिदान स्थल पर एक स्मारक बनाया गया, जहाँ पर लगे हुये एक बोर्ड में बलिदानी देशभक्तों के नाम अंकित हैं। जिनमें अमर शहीद श्री सेठ सुंदर लाल गुप्ता, गिलोंहा, श्री धरम दास मातों, खिरवा, श्री राम लाल, गोमा, श्री चिंतामणि, पिपट, श्री रघुराज सिंह, कटिया, श्री करण सिंह, श्री हलकाई अहीर, श्री हल्के कुर्मी, श्रीमती रामकुंवर, श्री गणेशा चमार, लौंड़ी आदि के नाम शामिल हैं।