भोपाल। आदिवासी दिवस पर सीएम कमलनाथ ने ऐलान किया कि आदिवासियों को साहूकारों के चंगुल से मुक्त कराया जाएगा। साहूकारों का कर्जा सरकार चुकाएगी। अब मांग उठने लगी है कि यह योजना केवल आदिवासियों के लिए ही क्यों, जबकि हर गांव का गरीब किसान साहूकार के चंगुल में जकड़ा हुआ है। साहूकारी से तंग आकर आत्महत्याएं करने वाले किसानों में अन्य किसानों की संख्या आदिवासियों से ज्यादा है।
बादल सरोज, संयुक्त सचिव अखिल भारतीय किसान सभा ने बयान जारी कर कहा कि अधिसूचित 89 इलाकों में रहने वाले आदिवासियों पर चढ़े साहूकारों के कर्ज माफ़ करने और उनकी गिरवी रखी जमीन तथा आभूषण इत्यादि वापस कराने की मुख्यमंत्री कमलनाथ की घोषणा - यदि सचमुच में अमल में आती है तो -स्वागत योग्य है। उम्मीद है उन्होंने यह एलान विश्व आदिवासी दिवस पर रस्म अदायगी के लिए नहीं किया होगा।
बादल सरोज ने कहा कि अखिल भारतीय किसान सभा मध्यप्रदेश प्रदेश के सभी किसानों के निजी साहूकारों के कर्ज भी समाप्त करने की दिशा में कदम उठाने की प्रतीक्षा में है। उम्मीद है वे इस बारे में भी कदम उठाएंगे। इसी के साथ प्रदेश में हुयी काम वर्षा और विलम्बित वर्षा के चलते सूखे की जो आशंका सामने आयी है उससे निबटने के लिए मनरेगा में 200 दिन के काम सहित सभी कदम उठाने की सहरुआत अभी से की जानी चाहिए।