भोपाल। पार्टी नेताओं ने टिकट के टाइम सारे सिद्धांत और परंपराओं को किनारे करके अपने तरीके से टिकट वितरण किया, अब विधायक भी पार्टी की परवाह नहीं कर रहे हैं। उनके लिए संगठन के महत्वपूर्ण भी कुछ है और वो उसी में व्यस्त हैं। यही कारण है कि भाजपा द्वारा बुलाई गई मीटिंग मे 15 विधायक नहीं आए। जबकि सभी विधायकों की उपस्थिति अनिवार्य बताई गई थी।
विधानसभा में दो विधायकों की क्रॉस वोटिंग के बाद विधायकों को लामबंद रखने के लिए गुरुवार को सदस्यता अभियान के बहाने भाजपा की बैठक बुलाई गई थी। सूचना मिलने के बाद भी 15 विधायक नहीं पहुंचे। इसमें क्राॅस वोटिंग करने वाले भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल भी शामिल हैं। जबकि इस बैठक में आना सभी के लिए अनिवार्य था। इन विधायकों को प्रदेश कार्यालय मंत्री सत्येंद्र भूषण ने दो से तीन बार फोन करके सूचना भी दी। बताया जा रहा है कि पार्टी के कुछ सीनियर विधायकों ने तो अपनी व्यस्तता बता दी, लेकिन कई बिना वाजिब कारण बताए नदारद रहे।
बैठक में सुहास भगत, प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। राकेश सिंह दिल्ली में चल रहे संसद के मानसून सत्र के बीच इस बैठक के लिए भोपाल आए। उन्होंने बैठक की शुरुआत में जिलावार खड़े करके लोगों से पूछा कि कहां से कौन विधायक आया। इसमें 15 विधायकों के नहीं पहुंचने की जानकारी सामने आई। बता दें कि मध्य प्रदेश में भाजपा के कई गुट बन गए हैं। इनमें शिवराज सिंह गुट सबसे बड़ा है।