भोपाल। खबर आ रही है कि बेरोजगारों की नौकरियां होल्ड करने वाली कमलनाथ सरकार ड्रामेबाज बाबाओं की नियुक्तियां प्राथमिकता के आधार पर कर रहीं हैं। उत्तरप्रदेश के बाबा देवमुरारी बापू ने कांग्रेस के प्रचार के बदले गो संवर्धन बोर्ड के चेयरमैन का पद मांगा था। नहीं मिला तो भोपाल आकर आत्महत्या की धमकी दे दी। अब खबर आ रही है कि कमलनाथ ने रात के समय एक मंत्री को भेजकर बाबा से समझौता कर लिया है।
बाबा की बेशर्मी: पद नहीं मिला तो सुसाइड कर लूंगा
केसरिया हिंदू वाहिनी संत सभा के राष्ट्रीय प्रमुख देवमुरारी बापू ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा 'मैंने पिछले साल नवंबर में मध्यप्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को समर्थन देकर उसके पक्ष में प्रचार किया था। संतों के समर्थन के बिना मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार नहीं बन सकती थी लेकिन कांग्रेस सरकार हमारी बात नहीं सुन रही है। उन्होंने कहा, 'मैंने कमलनाथ से मांग की थी कि 15 अगस्त तक मध्यप्रदेश गौ संवर्धन बोर्ड में मेरी नियुक्ति की जाए, ताकि मैं गौ सेवा कर सकूं लेकिन, यह मांग भी अनसुनी कर दी गई।' बापू ने कहा, 'इससे मैं आहत हूं और कल (सोमवार) 12 बजे दोपहर मैं यहां मुख्यमंत्री निवास के सामने आत्महत्या करूंगा, क्योंकि इस सरकार द्वारा संतों की मांगें नहीं मानने से मेरा मान-सम्मान गिरा है।
दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने बाबाओं को प्रचार के लिए बुलाया था
उन्होंने कहा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के कहने पर मैंने मध्य प्रदेश के 15 जिलों में तत्कालीन सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ व्यापक प्रचार किया लेकिन सत्ता में आने के बाद, कमलनाथ सरकार ने केवल दो हिंदू धार्मिक नेताओं और कंप्यूटर बाबा और स्वामी सुबोधानंद को ही जिम्मेदारी दी। देवमुरारी बापू ने बीजेपी से अपनी जान को खतरा होने का आरोप लगाते हुए मप्र सरकार से वाई' श्रेणी की सुरक्षा की मांग भी की है। कमलनाथ सरकार ने कुछ महीने पहले कंप्यूटर बाबा को मां नर्मदा-क्षिप्रा-मंदाकिनी ट्रस्ट का अध्यक्ष नियुक्त किया था। कंप्यूटर बाबा ने 2018 के विधानसभा चुनावों और मप्र में 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए प्रचार किया था।