भोपाल। उच्च माध्यमिक चयन परीक्षा घोषित होने की खबरों के बीच समग्र शिक्षक संघ ने चयन परीक्षा को नीति विरुद्ध बताते हुए रद्द करने की मांग उठाई है। समग्र शिक्षक संघ का कहना है कि प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड को 'उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा' का अधिकार ही नहीं है। अत: पूरी परीक्षा ही रद्द की जानी चाहिए।
उच्च माध्यमिक शिक्षक राजपत्रित पद है
समग्र शिक्षक संघ की ओर से जारी पत्र में तर्क दिया गया है कि म.प्र. सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी परिपत्र आदेश दिनांक 04.07.2019 के अनुसार पी.ई.बी. अथवा अन्य किसी चयन संस्थान को म.प्र. लोक सेवा आयोग की परिधि से बाहर सिर्फ तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के लिये ही परीक्षा आयोजित करने का अधिकार है फिर पी.ई.बी. उक्त नियमों के विरुद्ध उच्च माध्यमिक शिक्षक जो कि राजपत्रित श्रेणी का पद है पात्रता परीक्षा कैसे आयोजित कर सकता है।
लोक सेवा आयोग इस पद की परीक्षा के लिए अधिकृत है
संगठन ने दलील दी है कि जब राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा सभी राजपत्रित श्रेणियों के अधिकारियों (हायर सेकेण्ड्री स्कूलों के प्राचार्यों तथा सहायक प्राध्यापकों) की परीक्षा अधिकृत है तो फिर पी.ई.बी. लोक सेवा आयोग के समान्तर उच्च माध्यमिक शिक्षक राजपत्रित की पात्रता परीक्षा कैसे आयोजित कर सकता है और स्कूल शिक्षा विभाग कैसे किसी अनाधिकृत संस्थान को इस प्रकार की परीक्षा आयोजित करने का अधिकार दे सकता है?
जिसे कांग्रेस दोषी मानती है, उसे सरकार विश्वसनीय क्यों मान रही है
समग्र शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री और प्रदेश प्रवक्ता संजय तिवारी ने संगठन कि ओर लिखे गए पत्र में राज्य सरकार का इस ओर भी ध्यान आकर्षित कराया है कि राज्य सरकार ने अपने पार्टी के वचन पत्र में व्यापमं की कमियों को दृष्टिगत रखते हुए उसके स्थान पर राज्य कर्मचारी चयन आयोग गठित करने का संकल्प लिया गया है तो फिर जिस संस्थान को सरकार खुद दोषपूर्ण और अविश्वसनीय मानती है, तो उस संस्थान के द्वारा आयोजित चयन परीक्षा कैसे वैध और विश्वसनीय माना जा सकता है??
शिक्षकों के प्रोत्साहन के अवसरों पर कुठाराघात है
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व शासनकाल में जिस प्रकार से विधानसभा चुनाव को मद्देनजर शिक्षित युवा बेरोजगारों को प्रभावित करने के उद्देश्य से जल्दबाजी में माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक शिक्षकों के रिक्त पदों तथा शिक्षक संवर्ग की पदोन्नति से भरे जाने वाले पदों का सही आंकलन किये बगैर पी.ई.बी. को सभी पदों पर माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों की चयन परीक्षा के अधिकार दिये गये वो न केवल पूर्णतः नियम विरुद्ध हैं वल्कि 35 से 40 वर्ष तक एक ही पद पर सेवा देनेवाले विभाग के मूल शिक्षक संवर्ग के हितों और उनके प्रोत्साहन के अवसरों पर कुठाराघात है!
शिक्षक पात्रता परीक्षा में 10 प्रतिशत सामान्य आरक्षण लागू नहीं हुआ
संगठन ने यह भी आरोप लगाया है कि व्यापम/पी.ई.बी. द्वारा आयोजित उक्त शिक्षक पात्रता परीक्षा में भारत सरकार द्वारा सामान्य निर्धन वर्ग को दिये गये 10 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधानों तथा राज्य शासन द्वारा आयु संबंधी प्रावधानों का उचित रूप से पालन नहीं किया गया है, संगठन सभी वर्गो को विधिसम्मत समान अवसर का हिमायती है उन्होंने कहा कि उक्त तथ्यों एवं तर्कों के आधार पर माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा को निरस्त करने योग्य है।
सामूहिक त्यागपत्र देंगे, परीक्षा को कोर्ट से रद्द कराएंगे
राज्य सरकार 5 सितम्बर के पूर्व पहले पात्रताधारी शिक्षक संवर्ग के पद अपग्रेड करने पर निर्णय करे तत्पश्चात राज्य कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से नये सिरे से परीक्षा का आयोजित करे अन्यथा की स्थिति में प्रदेश के शिक्षक न केवल 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के आयोजनों का बहिष्कार करेंगे, वल्कि सामूहिक त्यागपत्र, पुरस्कार वापिसी के लिए मजबूर होंगे, वल्कि उक्त अनाधिकृत तथा नियम विरुद्ध आयोजित परीक्षा के साथ साथ भर्ती पदोन्नति अधिनियम 2018 के प्रावधानों को माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती देने को बाध्य होंगे, जिसकी संपूर्ण जवाबदारी राज्य शासन की होगी।