मैं कल से ZOMATO को लेकर चल रही बहस को देख और सुन रहा हूँ। मैंने कभी इस संस्थान की सेवाएं नहीं लीं और न ही अमित शुक्ला नामक व्यक्ति के साथ हुए विवाद में पक्ष बनने का इच्छुक हूँ किन्तु अभी-अभी मुझे ज्ञात हुआ कि जबलपुर के पुलिस अधीक्षक अमित सिंह ने बिना किसी शिकायत के अमित शुक्ला को ट्विटर पर हुए संवाद के आधार पर नोटिस देकर चेतावनी दे डाली कि अगले छह महीने में ऐसी कोई बात न दोहराएं वरना कार्रवाई कर दी जाएगी। उसके बाद से मैंने भी सोचा कि इस विषय पर निरपेक्ष रहना उचित नहीं है।
ZOMATO को समझना था उपदेश देना महत्वपूर्ण नहीं होता
जोमैटो के संचालकों द्वारा ऑर्डर के बाद उसे रद्द नहीं करने पर पैसे न लौटाने का तो औचित्य हो सकता है लेकिन खाने का धर्म नहीं होता, खाना धर्म होता है जैसा उपदेश देकर उन्होंने भले ही एक वर्ग विशेष की प्रशंसा बटोरी हो लेकिन ऐसा करते हुए वे भूल गए कि उपदेश देना महत्वपूर्ण नहीं होता अपितु उन पर अमल करना महत्वपूर्ण होता है। एक उपभोक्ता सेवा संचालित करने वाले संस्थान को ग्राहक की भावनाओं की कद्र भी करनी चाहिये। मुस्लिम समाज का एक वर्ग झटके के मांस से परहेज करता है। क्या उसे ये कहा जाना चाहिए कि खाने का धर्म नहीं होता ?
ZOMATO के पास यह बेहतर विकल्प था
रही बात किसी धर्म विशेष के डिलीवरी बॉय से परहेज की तो जब ग्राहक ने तत्सम्बन्धी शिकायत की तो उसे मात्र इतना कहा जाना उचित होता कि आपने आर्डर देते समय ऐसी शर्त नहीं रखी इसलिए उसे रद्द करना और पैसे लौटाना सम्भव नहीं होगा।
खाने का धर्म नहीं होता तो जैन फूड क्या है
आजकल शाकाहारी भोजन को देश विदेश में जैन फूड कहा जाने लगा है। अनेक ट्रेवल एजेंसियां अपने विज्ञापन में जैन फ़ूड की उपलब्धता का उल्लेख करना नहीं भूलतीं। क्या कभी किसी ने इस पर आपत्ति की कि खाने का धर्म नहीं होता तब जैन फ़ूड क्या है ?
मुस्लिम मित्र सेवईयां ईद पर बुलाते हैं, बकरीद पर नहीं
मेरे कई मुस्लिम मित्र ईद के दिन सेवइयां खाने आमंत्रित करते हैं तब इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि मैं शाकाहारी हूँ। एक ने तो बाकायदा डिनर का आयोजन किया और जिस जगह भोजन बन रहा था वहां का पर्दा हटा दिया ताकि गैर मुस्लिम अतिथि देख सकें कि भोजन कौन बना रहा है ? मेरी नजर में ये एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करने वाली बात है। वे मित्र बकरीद में कभी न्यौता नहीं देते जबकि मैं उन्हें उस रोज भी बधाई देता हूँ।
ZOMATO ने शाकाहारियों का मजाक उड़ाया है
जोमैटो के संचालकों ने खाने का धर्म नहीं होता जैसी टिप्पणी कर अनगिनत लोगों का मजाक उड़ाने का दुस्साहस भी किया है। खाना धर्म है ये कहना भी धर्म की बेहद घटिया व्याख्या है।
हालांकि ये विवाद एक ग्राहक और सेवा प्रदाता के बीच का मामला है लेकिन उसे अनावश्यक रूप से तूल दे दिया गया।
जबलपुर पुलिस अमित शुक्ला को नेता बना देगी
मैं नहीं जानता जबलपुर की पुलिस भविष्य में अमित शुक्ला के विरुद्ध क्या कार्रवाई करेगी लेकिन करती है तो फिर निश्चित रूप से उनके पक्ष में भी लोग खड़े होंगे और फिर वही होगा जो होता आया है।
ZOMATO को नुक्सान जरूर होगा
जहां तक बात जोमैटो की गुणवत्ता की है तो आज ही एक वीडियो की चर्चा गर्म है जिसमें उनका डिलीवरी बॉय ग्राहक को देने के पहले पैकिंग खोलकर खाता दिख रहा है। खबर है संस्थान ने उस कर्मचारी को हटाने के बाद अपनी पैकिंग बदलने का आश्वासन दिया है। इस विवाद से जोमैटो को कितना व्यवसायिक लाभ हुआ ये तो वही जाने लेकिन एक बड़े ग्राहक वर्ग में उसके प्रति वितृष्णा अवश्य उत्पन्न हो गई।