भोपाल। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार मिलावट के खिलाफ 'युद्ध' लड़ रही है परंतु यदि वो रिश्वत के खिलाफ 'युद्ध' लड़े तो शायद 3 महीने में गिर जाए। प्रदेश में रिश्वत की जड़ें कितनी मजबूत हैं, यह मामला इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। PWD के एक कर्मचारी को क्रमोन्नति का लाभ नहीं दिया गया। रिटायर होने के बाद जब वो हाईकोर्ट से केस जीत तो उसे एरियर भी नहीं दिया गया। अफसरों ने हाईकोर्ट में चतुराई भरा बया देकर अवमानना की याचिका भी क्लोज करवा दी। कर्मचारी ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी तो वो भी नहीं दी। इस सब में 12 साल बीत गए। अब राज्य सूचना आयोग ने आदेश दिया है, देखते हैं जानकारी मिल पाती है या नहीं।
ईई हरी सिंह ठाकुर ने एरियर देने से मना कर दिया
रासुआ से मिली जानकारी के अनुसार अपीलकर्ता लोक निर्माण विभाग से सेवानिवृत्त समयपाल श्रीनिवास तिवारी को सेवाकाल के दौरान कभी भी (tenure incentive) क्रमोन्नत पदोन्नति का लाभ नहीं मिला। इसके चलते वे माननीय उच्च न्यायालय की शरण में गए। न्यायालय ने श्री तिवारी की w.p. 1189 2010 में उनके पक्ष में फैसला दिया लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री हरी सिंह ठाकुर ने एरियर के भुगतान करने से माना कर दिया।
प्रमुख सचिव केके सिंह ने चतुराई से अवमानना याचिका क्लोज करवा दी
अपीलकर्ता ने माननीय हाईकोर्ट की डबल बेंच के फैसले की अवमानना के विरुद्ध कंटेंप्ट पिटिशन 2014 में हाईकोर्ट में दायर की। मध्यप्रदेश PWD के तत्कालीन ENC श्री अखिलेश अग्रवाल और प्रमुख सचिव के के सिंह जबलपुर हाईकोर्ट के समक्ष हाज़िर हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश के अनुरूप कार्रवाई की जा रही है। कोर्ट ने विभाग की कार्यवाही से संतुष्ट होते हुए कंटेम्प्ट पिटिशन को खारिज कर दिया।
बाबू ने 10 प्रतिशत रिश्वत मांगी थी
अपीलकर्ता के मुताबिक़ एरियर्स के भुगतान के लिए विभाग के बाबू ने उनसे 10 प्रतिशत कमीशन की मांग रख दी। बहरहाल हाइकोर्ट के आदेश के बावजूद आज 9 साल तक श्रीनिवास तिवारी के प्रकरण का निराकरण नहीं हो पाया।
3 साल से आरटीआई के तहत जानकारी नहीं मिली
वहीं पिछले 3 साल से लंबित RTI प्रकरण की कहानी भी कम त्रासदी पूर्ण नही है। अपीलकर्ता ने 2016 में कार्यपालन यंत्री रीवा हरि सिंह ठाकुर के समक्ष RTI दायर की। हरि सिंह वही अधिकारी हैं जो पहले ही कथित तौर पर इस प्रकरण का निराकरण करने से मना कर चुके थे। हरि सिंह ने जानकारी भी नही दी।
प्रथम अपीलीय अधिकारी ने 4 आदेश दिए, फिर भी जानकारी नहीं दी
जानकारी नहीं मिलने पर श्री तिवारी प्रथम अपील में भी गए। प्रथम अपीलीय अधिकारी अधीक्षण यंत्री लोक निर्माण विभाग रीवा ने 4 बार दिनांक 24/10/2016 28/11/2016, 14/12/2016 और 24/12/2016 को अंतिम अवसर चेतावनी देते हुए कार्यपालन यंत्री को जानकारी देने के लिए निर्देशित किया। पर प्रथम अपीलीय अधिकारी के चार आदेश भी बेअसर रहे। इसके बाद भी जानकारी नहीं दी गई।
राज्य सूचना आयोग की सुनवाई में भी कोई नहीं आया
जब राज्य सूचना आयोग में इस प्रकरण में सुनवाई लगी तो रीवा के लोक निर्माण विभाग की ओर से ना कार्यपालन यंत्री ना ही अधीक्षण यंत्री उपस्थित हुए।
अपीलकर्ता न्याय की उम्मीद ही छोड़ चुका है
अपीलकर्ता के बयान फोन पर लिए गए। उन्होंने बताया कि उनकी तबियत बेहद खराब रहती है और चलने फिरने में भी असर्मथ है। उन्होंने बताया कि वे अपने विभाग, हाई कोर्ट, मानव अधिकार आयोग हरसंभव दरवाजा न्याय के लिए खटखटा चुके हैं अब उन्हें न्याय की उम्मीद नहीं है।
आरटीआई कमिश्नर राहुल सिंह ने 28 अगस्त को जानकारी देने के आदेश दिए
इस मामले में आरटीआई कमिश्नर राहुल सिंह ने मध्य प्रदेश PWD ENC श्री आरके मेहरा को डीम्ड पीआईओ बनाते हुए आवेदक को 28 अगस्त को जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। साथ ही तत्कालीन और वर्तमान PIOs कार्यपालन यंत्री रीवा को 25000 जुर्माना और अनुशासनिक विभागीय कार्यवाही के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
आरटीआई कमिश्नर ने सभी जिम्मेदार अधिकारियों को तलब किया
इन सभी जिम्मेदार अधिकारियों की व्यक्तिगत सुनवाई आयोग के समक्ष 28 अगस्त को लगाई है। इस मामले में मैंने PWD के प्रमुख सचिव श्री मलय श्रीवास्तव को निर्देशित किया है कि पेंशन और वेतन से संबंधित लंबित RTI प्रकरणों की सुनवाई तत्काल करवाने के आदेश PIOs को दें।
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि अधिकारियों को वेतन संबंधी निराकरण के लिए पारदर्शी व्यवस्था का निर्माण करना चाहिए ताकि भविष्य में यदि उनको कभी वेतन, एरियर्स संबंधी समस्या हो तो उनका हश्र भी अन्य शासकीय सेवकों जैसा ना हो। व्यवस्था ऐसी बने जो रिटायरमेंट के बाद सहूलियत दे! ना कि उनके लिए परेशानी खड़ी करें।