नई दिल्ली। सरकारी नौकरी (GOVERNMENT JOB) में आरक्षण (RESERVATION) का लाभ मामले में सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) ने एतिहासिक फैसला दिया है। इस निर्णय के अनुसार सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए उम्मीदवार केवल एक बार ही आरक्षण का लाभ (ONLY ONE TIME CAN USE RESERVATION ) ले सकता है। नौकरी प्राप्त हो जाने के बाद सरकारी कर्मचारी अपनी नौकरी छोड़कर दूसरी नौकरी के लिए आरक्षण का लाभ नहीं ले सकता। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उत्तराखंड राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी मनीष बिष्ट की अपील को खारिज करते हुए सुनाया।
मामला क्या है
एसडीएम सितारगंज मनीष बिष्ट ने पूर्व सैनिक के आश्रित को मिलने वाले चार फीसदी आरक्षण कोटे का लाभ लिया था। मनीष ने चंपावत जिले में उपखंड शिक्षाधिकारी के रूप में सेवाएं दी थी।वर्ष 2015 बैच के पीसीएस अफसर में चयन के समय मनीष ने फिर से पूर्व सैनिक के कोटे से आरक्षण का लाभ लिया और अब एसडीएम के पद पर सेवाएं दे रहे थे।
हाईकोर्ट ने दो बार आरक्षण को गैरकानूनी ठहराया था
लोक सेवा आयोग के समक्ष अन्य अभ्यर्थी ने आपत्ति जताई थी कि नियमानुसार नौकरी में आरक्षण के कोटे का लाभ एक ही बार लिया जा सकता है। लेकिन आयोग ने इस मामले में न्यायोचित कार्रवाई नहीं की। अभ्यर्थी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को उचित ठहराया है।
कार्मिक विभाग ने सेवा समाप्ति के आदेश जारी किए
वर्ष 2018 में प्रशिक्षु डिप्टी कलक्टर के रूप में अल्मोड़ा में सेवाएं देने के बाद 2018 के आखिरी महीनों में बिष्ट यूएसनगर आ गए। ओसी कलक्ट्रेट के पद पर तैनाती के बाद मार्च में उन्हें सितारगंज का एसडीएम के रूप में तैनाती दी गई थी। वर्तमान में बिष्ट एसडीएम सितारगंज के पद पर तैनात हैं। लोक सेवा आयोग ने कोर्ट के आदेशानुसार कार्मिक विभाग को प्रस्ताव भेजा।इसके बाद कार्मिक विभाग ने नियुक्ति समाप्त करने का आदेश दिया, जिससे मनीष की सेवाएं समाप्त हो गई हैं। शासन के फैसले पर मनीष बिष्ट ने कहा कि वे कानूनी तरीके से अपनी लड़ाई लड़ेंगे।