व्यापमं घोटाला: VVIP कैदी की सेवा में जेलर ने नौकरी दांव पर लगा दी | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। भोपाल जेल अधीक्षक ने व्यापमं घोटाला के आरोप में जेल भेजे गए इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर सुरेश भदौरिया को सुविधाएं प्रदान करने के लिए अपनी नौकरी तक दांव पर लगा दी। उन्होंने बिना कोर्ट की अनुमति के वीआईपी कैदी को भोपाल जेल से इंदौर के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करा दिया। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने जेलर से स्पष्टीकरण मांग लिया है। 

व्यापमं महाघोटाले की पीएमटी-2012 घोटाले मामले में आरोपी इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर सुरेश भदौरिया को इंदौर के सीएचएल अस्पताल भेजने पर सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने भोपाल जेल अधीक्षक से स्पष्टीकरण मांगा है। न्यायाधीश ने इस पर गहरी नाराजगी जताते हुए जेल अधीक्षक को यह भी लिखा है कि आपने हाईकोर्ट के 26 जुलाई 2019 के आदेश की मनमाने रूप से व्याख्या कर आरोपी भदौरिया को बिना न्यायालय की अनुमति से इंदौर के निजी अस्पताल में भर्ती कैसे कराया? जेल अधीक्षक ने ऐसा किन परिस्थितियों में और क्यों किया? न्यायाधीश ने जेल अधीक्षक से स्पष्टीकरण मांगते हुए 31 अगस्त को कोर्ट में तलब किया है और लिखा है कि क्यों न इस मामले में आपके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाए। 

लम्बे समय तक फरार रहा था भदौरिया

व्यापमं महाघोटाले की पीएमटी-2012 मामले में लंबे समय तक फरार रहने के बाद जब कोर्ट ने संपत्ति कुर्की की कार्रवाई शुरू की तब जाकर भदौरिया ने अदालत में सरेंडर किया था। सीबीआई ने पीएमटी 2012 मामले में 23 नवंबर 2017 को 592 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया था। सीबीआई ने 1500 पेज की चार्जशीट में 245 नए आरोपी बनाये थे। 

गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन ने रैफर करने पत्र लिखा

जेल में बंद भदौरिया का इलाज हमीदिया अस्पताल में चल रहा था। 7 अगस्त को गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) के डीन ने हाइकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए जेल अधीक्षक को पत्र लिखकर भदौरिया को निजी अस्पताल में रैफर करने की बात कही। डीन ने लिखा कि बंदी सुरेश भदौरिया का आवेदन सीएचएल अस्पताल में इलाज के लिए मिला है और बंदी तकनीकी रूप से उक्त अस्पताल से संतुष्ट है। इंदौर के अस्पताल में मरीज का संपूर्ण एवं आधुनिक इलाज मौजूद है, इसलिए उसे रैफर करने की कार्रवाई करें। 

पत्र मिलते ही जेल अधीक्षक ने भदौरिया को इंदौर भेज दिया

जेल अधीक्षक ने डीन के पत्र का हवाला देते हुए आनन-फानन में 8 अगस्त को पुलिस बल के साथ भदौरिया को सीएचएल अस्पताल इंदौर में दाखिल करवा दिया। नियमानुसार इससे पहले कोर्ट की अनुमति की जरूरत थी परंतु जेल अधीक्षक ने कोई अनुमति नहीं ली। रैफर करने के बाद जेल अधीक्षक ने 10 अगस्त को अदालत को इसकी सूचना दी। 

कोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगा

जज अजय श्रीवास्तव ने जेल अधीक्षक को लिखा है कि भदौरिया का मामला कोर्ट में लंबित है। आपने बिना न्यायालय की अनुमति के भदौरिया को इंदौर कैसे भेजा? न्यायाधीश ने जेल अधीक्षक को लिखा है कि इस कृत्य के लिए क्यों न आपके खिलाफ कार्रवाई की जाए। जेल अधीक्षक को 31 अगस्त को स्पष्टीकरण पेश करना होगा, अन्यथा उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई भी हो सकती है। 

कोई दस्तावेज नहीं किया पेश 

न्यायाधीश ने लिखा कि जेल अधीक्षक ने अदालत में जो सूचना भेजी है उसमें ऐसा कहीं भी स्पष्ट नहीं है कि भदौरिया किसी असमान्य एवं असाध्य बीमारी से पीड़ित है। जेल अधीक्षक ने ऐसा कोई दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं किया, जिससे यह पता चल सके कि भदौरिया का इलाज भोपाल के अस्पतालों में संभव नहीं था, उसे इंदौर के उसी विशेष अस्पताल में भेजना अनिवार्य था। 

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