जबलपुर। यहां एक बड़ा बीमा क्लेम घोटाला ( JABALPUR INSURANCE CLAM SCAM) सामने आया है। पुलिस थाना बेलबाग में 18 महीने में 18 एक्सीडेंट के मामले दर्ज हुए। सभी का घटना स्थल एक ही था। मजेदार बात यह है कि एमएलसी पर हस्ताक्षर डॉक्टर विवेक गुप्ता के हैं परंतु वो तो भारत में रहते ही नहीं। इस मामले में अस्पताल, वकील, बीमा कंपनी के अधिकारी और पुलिस सहित कई लोगों की संदिग्ध भूमिका नजर आ रही है। एक सिंडीकेट है जो यह घोटाला कर रहा था।
अस्पताल, वकील, कंपनी अधिकारियों सहित कई जांच की जद में
फर्जीवाड़ा सामने आते ही करीब 5 लाख का भुगतान कर चुकी बीमा कंपनी ने दुर्घटना बीमा का शेष भुगतान रोक दिया और पुलिस से शिकायत की। पुलिस अधीक्षक अमित सिंह के निर्देश पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर राजेश त्रिपाठी मामले की जांच कर रहे हैं। प्रथमदृष्ट्या पुलिस के विवेचक समेत बीमा कंपनी के कर्मचारी, वकील, फरियादी व एक्सीडेंट प्रकरणों से जुड़े तमाम लोग जांच के घेरे में हैं।
फर्जी डॉक्टर विवेक गुप्ता ने कोर्ट में बयान भी दिए
पुलिस की प्राथमिक जांच में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि जिस डॉक्टर के नाम का उपयोग कर कथित सड़क हादसे में घायलों की अस्पताल में एमएलसी कराई गई, कोर्ट में गवाही के लिए उस चिकित्सक की जगह किसी बहुरूपिया को भेजा गया। बताया जाता है कि ब्यौहारबाग स्थित पाण्डेय अस्पताल में सभी घायलों की एमएलसी कराई गई थी। दस्तावेज पर डॉ. विवेक गुप्ता का नाम लिखा है, जो वर्षों से विदेश में चिकित्सा व्यवसाय कर रहे हैं। बीमा क्लेम हड़पने की इस साजिश में पुलिस ने अस्पताल पर भी शिकंजा कस दिया है।
18 माह में 18 प्रकरण: लेकिन एक्सीडेंट का घटनास्थल एक
दुर्घटना बीमा के जो 18 प्रकरण जांच के दायरे में हैं, सभी की एफआईआर अलग-अलग तिथियों में बेलबाग थाना में 18 माह में दर्ज की गई थी। पुलिस की एफआईआर में एक्सीडेंट के सभी प्रकरण करीब एक ही स्पॉट पर होना बताया गया है। बीमा कंपनी को आशंका है कि गलत तरीके से क्लेम हड़पने के लिए लोगों द्वारा साजिश रची गई। प्रकरण से जुड़े लोगों को नोटिस दिया जा रहा है।
पाण्डेय अस्पताल भी जांच की जद में है
एक्सीडेंट क्लेम हड़पने के संबंध में बीमा कंपनी की शिकायत की जांच की जा रही है। कंपनी का आरोप है कि क्लेम की राशि हड़पने के लिए योजनाबद्ध तरीके से साजिश रची गई। जिस चिकित्सक का नाम एमएलसी के दस्तावेज पर अंकित है, वे भी विदेश में सेवाएं दे रहे हैं। निजी अस्पताल की भूमिका का भी पता लगाया जा रहा है।
-राजेश त्रिपाठी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक