नई दिल्ली। 978 करोड़ रुपए लागत वाला मिशन चंद्रयान-2 फेल नहीं हुआ है। उसके तीन भागों में से एक 'लैंडर विक्रम' से संपर्क टूट गया और वो चंद्रमा पर लैंड नहीं कर पाया परंतु चंद्रयान-2 अभी भी चंद्रमा के चक्कर काट रहा है। मिशन को मात्र 5 प्रतिशत का नुक्सान हुआ है, 95 प्रतिशत चंद्रयान-2 सुरक्षित है। यह अगले 1 साल तक अपना काम करता रहेगा।
शनिवार तड़के 1.38 बजे संपर्क टूट गया
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन ने संपर्क टूटने का ऐलान करते हुए कहा कि चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी पहले तक लैंडर का काम प्लानिंग के मुताबिक था। उन्होंने कहा कि उसके बाद उसका संपर्क टूट गया। शनिवार तड़के लगभग 1.38 बजे जब 30 किलोमीटर की ऊंचाई से 1,680 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से 1,471 किलोग्राम के विक्रम चंद्रमा ने सतह की ओर बढ़ना शुरू किया, तब सबकुछ ठीक था।
आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है
इसरो ने एक आधिकारिक बयान में कहा, 'यह मिशन कंट्रोल सेंटर है। विक्रम लैंडर उतर रहा था और लक्ष्य से 2.1 किलोमीटर पहले तक उसका काम सामान्य था। उसके बाद लैंडर का संपर्क जमीन पर स्थित केंद्र से टूट गया। आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है।
चंद्रयान-2 मिशन का सबकुछ समाप्त नहीं हुआ है
इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क केंद्र के स्क्रीन पर देखा गया कि विक्रम अपने तय रास्ते से थोड़ा हट गया और उसके बाद संपर्क टूट गया। लैंडर बड़े ही आराम से नीचे उतर रहा था और इसरो के अधिकारी बीच बीच में खुशी जाहिर कर रहे थे। लैंडर ने सफलतापूर्वक अपना रफ ब्रेक्रिंग चरण पूरा किया और यह अच्छी स्पीड से सतह की ओर बढ़ रहा था। इसरो के एक वैज्ञानिक के मुताबिक, लैंडर का नियंत्रण उस समय समाप्त हो गया होगा, जब नीचे उतरते समय उसके थ्रस्टर्स को बंद किया गया होगा। हालांकि 978 करोड़ रुपये लागत वाले चंद्रयान-2 मिशन का सबकुछ समाप्त नहीं हुआ है।
इसरो केंद्र में पीएम नरेंद्र मोदी बच्चों के साथ मौजूद थे
प्रधानमंत्री मोदी खुद इस ऐतिहासिक लम्हे को देखने के लिए इसरो के बेंगलुरु केंद्र में मौजूद थे। उनके साथ 60-70 स्कूली बच्चे भी थे जिन्होंने क्विज प्रतियोगिता के जरिए लैंडिंग का सीधा प्रसारण देखने का मौका हासिल किया। विक्रम लैंडर की कक्षा 35 किलोमीटर गुना 101 किलोमीटर की है। इसरो अधिकारियों में जहां उदासी का आलम है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा, 'जब मिशन बड़ा होता है तो निराशा से पार पाने का हिम्मत होना चाहिए। मेरी तरफ से आप सभी को बहुत बधाई है। आपने देश की और मानव जाति की बड़ी सेवा की है।'
इससे पहले शुक्रवार रात लैंड करना था
इससे पहले शुक्रवार रात एक बजकर 52 मिनट 54 सेकेंड पर चांद की सतह पर चंद्रयान-2 को लैंड करना था। 22 जुलाई को चंद्रयान-2 लांच किया गया था। चंद्रयान में तीन प्रमुख हिस्से हैं- ऑर्बिटर (वजन 2,379 किलोग्राम, आठ पे लोड्स), लैंडर विक्रम (1,471 किलोग्राम, चार पे लोड्स) और एक रॉवर प्रज्ञान (27 किलोग्राम, दो पे लोड्स)।
अभी भी चंद्रमा का सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है
हालांकि 978 करोड़ रुपये लागत वाले चंद्रयान-2 मिशन का सबकुछ समाप्त नहीं हुआ है। इसरो के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने के अनुरोध के साथ को बताया, "मिशन का सिर्फ पांच प्रतिशत -लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर- नुकसान हुआ है, जबकि बाकी 95 प्रतिशत -चंद्रयान-2 ऑर्बिटर- अभी भी चंद्रमा का सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है।"