नई दिल्ली। मोटर व्हीकल एक्ट 2019 को लेकर देश भर में हंगामा मचा हुआ है। जनता इसका विरोध कर रही है। इसके चलते केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बयान दिया है। उनका कहना है कि यह एक्ट सभी पक्षों की सहमति के बाद लागू किया गया है। बता दें कि इस एक्ट के तहत जुर्माने की रकम 30 गुना तक बढ़ा दी गई है।
गडकरी ने देश में सड़क हादसों में हो रही मौतों का जिक्र करते हुए कहा कि बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके लिए कड़े जुर्माने के बिना ट्रैफिक रूल कोई मायने नहीं रखता है। उन्होंने कहा कि जुर्माना बढ़ाने का फैसला काफी समझ-बूझकर और विभिन्न पक्षों से सलाह लेकर लागू किया गया है।
अबतक उड़ती रहीं नियमों की धज्जियां: गडकरी
गडकरी ने कहा, 'यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण सड़क पर हो रही मौतों की संख्या बहुत ज्यादा है। जुर्माने में कई गुना वृद्धि का फैसला विभिन्न पक्षों से सलाह के बाद सामूहिक तौर पर लिया गया। सरकार इन जुर्मानों से कमाई करना नहीं चाहती है। यह सिर्फ उल्लंघन की घटनाएं रोकने के लिए है। अब तक यातायात नियमों का बहुत कम पालन होता रहा है।' उन्होंने आगे कहा, 'सरकार जुर्माने की सीमा बढ़ाने की इच्छुक नहीं है। हम चाहते हैं कि ऐसा वक्त आए जब एक भी व्यक्ति को जुर्माना नहीं देना पड़े और हर व्यक्ति कानून का पालन करे।'
59 हजार तक हो चुका है फाइन
दरअसल, 1 सितंबर को संशोधित मोटर वीइकल ऐक्ट, 1988 लागू होने के बाद से भारी-भरकम जुर्माने के चालान कटने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। गुरुग्राम पुलिस ने गुरुवार को एक ट्रैक्टर ट्रॉली ड्राइवर को कई नियमों के उल्लंघन के आरोप में 59 हजार रुपये का चालान काट दिया। उससे पहले, 2 सितंबर को गुरुग्राम में ही एक स्कूटी चालक पर विभिन्न मामलों में 23 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। उसने यह कहते हुए जुर्माना भरने से इन्कार कर दिया था कि उसकी स्कूटी की कीमत ही मात्र 15 हजार रुपये है। बुधवार की ही बात है जब एक ऑटो ड्राइवर को नशे की हालत में ड्राइव करने, ड्राइविंग लाइसेंस समेत जरूरी दस्तावेज नहीं होने के कारण 47,500 रुपये का चालान काटा गया।
जुलाई में संसद से पास हुआ था संशोधन
गौरतलब है कि संसद ने मोटर वीइकल ऐक्ट, 1988 में संशोधन प्रस्ताव को जुलाई में पास किया था। उसके बाद अगस्त महीने में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वीइकल्स (अमेंडमेंट) ऐक्ट, 2019 की अधिसूचना जारी की थी। हालांकि, इसे 1 सितंबर से लागू किया गया। यह अलग बात है कि तेलंगाना और राजस्थान जैसे राज्यों में नया कानून अब भी लागू नहीं किया गया है।