भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने 27% OBC आरक्षण लागू तो कर दिया परंतु हाईकोर्ट में इसके खिलाफ दायर याचिका पर जवाब पेश नहीं कर रही है। हाईकोर्ट ने अब अंतिम चेतावनी दी है। 2 हफ्ते के अंदर या तो जवाब पेश कर बहस में भाग लें यदि ऐसा नहीं किया तो हाईकोर्ट एकतरफा फैसला सुना सकता है।
हाईकोर्ट पहले भी चेतावनी दे चुका है
सोमवार को ओबीसी आरक्षण के मामले पर सुनवाई के दौरान जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई। इससे पहले भी हाईकोर्ट ने सरकार के रवैये पर असंतोष व्यक्त किया था। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले पर सरकार का रुख साफ नजर नहीं आ रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि जबलपुर हाईकोर्ट से लगातार जवाब मांगे जाने के बावजूद सरकार ने अब तक अपना जवाब पेश नहीं किया।
27% OBC आरक्षण अवैध है, सरकार के पास जवाब ही नहीं है
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं का कहना है कि मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला कर राज्य सरकार खुद उलझ गई है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि किसी भी राज्य में एसटी-एससी और ओबीसी (SC/ST & OBC) को 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता। ऐसे में राज्य सरकार हाईकोर्ट में जवाब पेश करने से बच रही है।
लोकसभा चुनाव से पहले हुआ था एलान
आपको बता दें कि अप्रैल-मई में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ सरकार ने मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने का दांव चला था। सीएम कमलनाथ के आदेश के बाद सरकार की तरफ से इसका गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया था। सरकार के इस फैसले से प्रदेश में ओबीसी को सरकारी नौकरियों में 27 फीसदी आरक्षण का फायदा मिल सकता है। प्रदेश की तत्कालीन राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने इस अध्यादेश को मंजूरी दी थी। लेकिन हाईकोर्ट में याचिका दायर होने के बाद राज्य सरकार इस मामले पर फंसती नजर आ रही है।