भोपाल। मध्य प्रदेश शासन के लिए काम कर रहे तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के प्रमोशन के लिए विधानसभा में मुद्दा उठा तो 21 जुलाई 2019 को समिति बनाने का ऐलान कर दिया गया परंतु समिति को गठित होते होते 2 माह गुजर गए। अब सीएम कमलनाथ के समय मिलने का इंतजार किया जा रहा है। तभी बैठक हो पाएगी।
कांग्रेस ने 4 विधायकों के नाम पर तय करने में 2 माह लगा दिए
विधानसभा में 21 जुलाई को यह मुद्दा उठा था, लेकिन इसे गठित की जाने वाली समिति के लिए राजनीतिक दलों को चार-चार सदस्यों के नाम देने में काफी समय लग गया। भाजपा ने करीब एक महीने पहले डॉ. सीतासरन शर्मा, डॉ. नरोत्तम मिश्रा, जगदीश देवड़ा और कमल पटेल के नाम विधानसभा सचिवालय को भेजे थे, लेकिन कांग्रेस ने इसके बाद और समय लिया। कुछ दिन पहले कांग्रेस विधायक दल की तरफ से समिति के लिए लक्ष्मण सिंह, बिसाहूलाल सिंह, दिलीप गुर्जर व रामलाल मालवीय के नाम भेजे गए। समिति में विस अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति और मुख्यमत्री कमलनाथ भी हैं।
अब मीटिंग के लिए मुख्यमंत्री का इंतजार
बताया जाता है कि समिति के लिए कांग्रेस और भाजपा विधायकों के नाम आ जाने के बाद अब बैठक के लिए कवायद की जा रही है। मुख्यमंत्री से विस सचिवालय द्वारा इसके लिए समय मांगने की कोशिश की जा रही है। विधानसभा अध्यक्ष और सीएम के एक साथ भोपाल में होने की स्थिति में ही पदोन्नति की इस समिति की बैठक होने की संभावना है। विस अध्यक्ष सितंबर में विदेश प्रवास पर युगांडा, नैरोबी व कीनिया में रहेंगे। समिति की अक्टूबर ही में बैठक होने की संभावना है।
प्रथम श्रेणी अधिकारियों के प्रमोशन पर आपत्ति
विधानसभा के पावस सत्र में भाजपा विधायक व पूर्व विस अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा ने सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति को लेकर लिखित प्रश्न किया था। इसमें चर्चा के दौरान सदस्यों ने सवाल उठाया था कि प्रथम श्रेणी के अधिकारियों की पदोन्नति पर क्या अदालत ने कुछ नहीं कहा। जब अदालत ने अलग से कोई निर्देश नहीं दिए हैं तो फिर केवल तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की पदोन्नति ही क्यों रोकी गई। प्रथम श्रेणी की पदोन्नति तो बराबर हो रही है।