नीमच। यहां बाढ़ राहत घोटाला हो रहा है। प्रशासन 2 तरह से काम कर रहा है। सोमवार को सीएम कमलनाथ आ रहे हैं। वो जिन स्थानों पर जाने वाले हैं वहां जानवरों तक को चारा डाला गया है परंतु 80 हजार लोग ऐसे हैं जिन्हे अन्न का दाना तक नहीं दिया गया। यदि समाजसेवी संस्थाएं ना होतीं तो बाढ़ पीड़ित 80 हजार लोग भूख से मरना शुरू हो जाते।
लोगों ने लांछन लगाए तो सीएम कमलनाथ आए
जिले में आई बाढ़ के 10 दिन बाद साेमवार काे सीएम कमलनाथ पीड़िताें काे हाल जानने जिले में आ रहे हैं। वे नाहरगढ़ के कयामपुर में सभा लेंगे। प्रभावितों से मिलने दोपहर 1 बजे पायाखेड़ी जाएंगे। सीएम के खौफ में प्रशासन तीन दिन से तैयारियों में जुटा है। आसपास के गांवों में बाढ़ प्रभावितों को अनाज वितरण करने के बाद पायाखेड़ी व बेटीखेड़ी में मवेशियों के लिए चारा तक बांट दिया है। जहां सीएम नहीं जाएंगे वहां करीब 80 हजार लोगाें काे अब भी अनाज व राशन के रूप में मिलने वाली राहत का इंतजार है।
फिर राजनीति का अखाड़ा बना क्षेत्र
बाढ़ के कहर से 200 करोड़ से ज्यादा की सड़कें, 1100 करोड़ की फसलें और मकान क्षतिग्रस्त होने के साथ अन्य क्षेत्र में 400 करोड़ की नुकसानी का आकलन है। इसकी भरपाई करने में मंदसौर को 5 साल लग जाएंगे। इधर, किसान आंदोलन के बाद सुस्त पड़ी मंदसौर की राजनीति में अब बाढ़ के बाद उफान आने लगा है। दो बार प्रभारी मंत्री हुकुमसिंह कराड़ा, दो बार पूर्व सीएम शिवराज व दिग्विजयसिंह आ गए। अब साेमवार काे सीएम कमलनाथ आ रहे हैं। मंगलवार को कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया व राजस्व मंत्री गोविंदसिंह राजपूत भी आएंगे। वहीं बुधवार को नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्द्वनसिंह भी दखल देंगे।
12 फीट तक घरों में भर गया पानी, जैसे-तैसे रात गुजारी
पायाखेड़ी की आबादी करीब 1200 है। यह के लोगों का आरोप है कि यदि समय पर गांधी सागर डेम के गेट खोल दिए जाते तो चंबल का पानी उनका गांव बर्बाद नहीं करता। 12 फीट तक घरों में पानी भर गया जिससे पूरा गांव डूब गया। कई पशु मर गए तो मकान मिट्टी में मिल गए, टू व्हीलर, ट्रैक्टर भी पानी में डूब गए। लोग पूरी रात डूबे हुए मकानों की छत पर बैठे रहे। जैसे-तैसे गांव के मछुआरों की नाव से लोगों ने एक-दूसरे की मदद कर अपनी बचाई।
बाढ़ के बाद 3 दिन तक कोई अधिकारी नहीं आया
गांव पीड़ित फकीर मोहम्मद ने बताया कि चंबल और शिवना नदी का पानी अचानक गांव में घुस आया। हमको पहले से किसी ने कोई सूचना भी नहीं दी थी। 3 दिन तक तो कोई अधिकारी देखने भी नहीं आया था। अब नेता राजनीति करने आ रहे हैं। राहत सामग्री भी पांचवें दिन मिली। अनवर खान ने कहा कि गांधीसागर डैम का लेवल कम होता तो पानी नहीं भर पाता, जब से डैम बना है तब से अभी तक कभी पानी नहीं भरा था। गांधीसागर डैम पर पदस्थ अधिकारियों ने पानी का लेवल कम नहीं किया, इससे गांव में पानी भर गया। पूरा गांव तबाह हो गया।
शहजाद मंसूरी: 100 लोगों को बचाया फिर शहीद हो गया
पायाखेड़ी में 14 सितं. को पानी भर गया था। ऐसे में गांव की महिला, पुरुषों व बच्चों को मुश्किल से नाव की मदद से बाहर निकाला गया। इस दौरान शहजाद मंसूरी ने हिम्मत दिखाकर 100 से ज्यादा लोगों को बचाया लेकिन 12 फीट पानी भरने के बाद भी बिजली सप्लाई चालू थी। शहजाद जब नाव लेकर लोगों को बचा रहा था तभी खंभों पर लगे बिजली के तार उसे और उसके एक साथी को छू गए। शहजाद की मौके पर ही मौत हो गई थी, शुक्र है साथी बच गया। शहजाद के 3 मासूम बच्चे हैं, परिवार में अकेला ही कमाने वाला था।
18 हजार परिवार अब भी राशन के इंतजार में
राजस्व विभाग के अनुसार के बाढ़ प्रभावित लोगों को 50 किलो गेहूं के लिए पात्र माना है। सरकारी आकलन के मुताबिक 30 हजार मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि 12 हजार परिवारों को राशन बांट चुके हैं। इस लिहाज से 18 हजार परिवार के करीब 80 हजार सदस्य अनाज से वंचित हैं। जिला मुख्यालय से 7 किमी दूर गांव अरनिया निजामुद्दीन के रामलाल अहिरवार ने बताया कि शुक्रवार को राशन दुकान पर पटवारी ने 20 से 15 किलो राशन ही दिया। इसके बाद दुकान को खोला ही नहीं गया।