भोपाल कलेक्टर को अंदेशा था हादसा हो सकता है, लेकिन रोका नहीं | BHOPAL NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। भोपाल नाव हादसे में 11 मौतें हो जाने के बाद तरुण पिथोड़े, कलेक्टर भोपाल का एक आदेश सामने आया है। इस आदेश के माध्यम से प्रशासन खुद को निर्दोष साबित कर रहा है परंतु प्रश्न यह है कि क्या कलेक्टर का काम केवल आदेश जारी करना है, आदेश का पालन सुनिश्चित कराना किसका काम है। यदि आदेश का पालन कराने हेतु टीम तैनात कर दीं जातीं तो हादसा ही ना होता। 11 युवकों की जान बच सकती थी। 

खुद को सुरक्षित रखने आदेश जारी करके फाइल में दबा दिया था ?

भोपाल नाव हादसे के पांच दिन पहले कलेक्टर तरूण पिथौड़े ने धारा 144 के तहत आदेश जारी किया था। आदेशानुसार भोपाल जिले के सभी तालाबों में शाम 7 बजे के बाद बोट संचालन पर रोक लगा दी थी। बोट संचालन पर निगरानी की पूरी व्यवस्था नगर निगम की बजाय पर्यटन निगम को दे दी थी लेकिन मौके पर ना तो प्रशासनिक टीम थी ना ही पर्यटन निगम की टीम। क्यों ना यह मान लिया जाए कि खुद को सुरक्षित करने के लिए इस तरह का आदेश लिखकर फाइल में दबा दिया गया था। 

व्यवस्था बनाई, पालन नहीं कराया

कलेक्टर पिथौड़े ने अपने आदेश में इस बात का जिक्र किया है कि बोट संचालन में निर्धारित सुरक्षा नियमों का पालन नहीं हो रहा है। इससे गंभीर घटना हो सकती है। इसलिए सुरक्षा संबंधी सभी उपाय करने के लिए यह जरूरी किया गया है कि बोट चालक अपने साथ बोट की मजबूती का प्रमाण पत्र रखेंगे। पर्यटन निगम बोट की जांच के बाद यह प्रमाण पत्र जारी करेगा। यहां बड़ा प्रश्न यह है कि क्या यह आदेश पर्यटन निगम तक पहुंचा दिया गया था। क्या सुनिश्चित कर लिया गया था कि पर्यटन निगम के पास इतनी टीम है कि वो सभी तालाबों पर वोट की जांच कर सकती है। क्यों ना यह संदेह किया जाए कि यह एक आदेश महज एक औपचारिकता थी, जो हर साल निभा ली जाती है। 

कलेक्टर के आदेश में और क्या क्या लिखा है

हर बोट में यात्रियों की संख्या के बराबर लाइफ जैकेट होना चाहिए।
हर बोट की क्षमता पर्यटन निगम द्वारा प्रमाणित होना चाहिए।
हर बोट में पर्याप्त संख्या में सेफ्टी ट्यूब होना चाहिए।
हर बोट चालक अनिवार्य रूप से कुशल तैराक होना चाहिए।
हर बोट चालक को नेम प्लेट लगाना चाहिए।
हर माह बोट का तकनीकी परीक्षण होना चाहिए।
बोट में यात्रियों के बैठने से पहले उन्हें लाइफ जैकेट पहनाना चाहिए।
बोट चालक या यात्री नशे की हालत में नहीं होना चाहिए।
पर्यटकों के साथ अभद्र व्यवहार नहीं किया जा सकेगा।
बोट केवल अनुमति वाले स्थान पर ही संचालित की जा सकेगी।
पर्यटन निगम की जिम्मेदारी होगी कि बोट क्लब पर सभी दिशा निर्देश लिखे जाएं।
पर्यटन निगम या अन्य सक्षम संस्था की अनुमति के बिना प्राइवेट बोट का संचालन नहीं किया जा सकेगा।

कलेक्टर के आदेश पर सवाल

क्या कलेक्टर ने यह सुनिश्चित कर लिया था कि उनके आदेश का पालन हो रहा है। 
हर बोट में यात्रियों की संख्या के बराबर लाइफ जैकेट की जांच की जा रही है। 
हर बोट की क्षमता पर्यटन निगम द्वारा प्रमाणित की गई है। 
हर बोट में पर्याप्त संख्या में सेफ्टी ट्यूब उपलब्ध करा दिए गए हैं। 
हर बोट चालक अनिवार्य रूप से कुशल तैराक तैनात हुए हैं। 
हर बोट चालक ने नेम प्लेट लगा ली है। 
बोट में यात्रियों के बैठने से पहले उन्हें लाइफ जैकेट पहनाई जा रही है। 
बोट चालक या यात्री नशे की हालत में नहीं हैं। 
बोट केवल अनुमति वाले स्थान पर ही संचालित की जा रही है। 
बोट क्लब पर सभी दिशा निर्देश लिखे गए हैं। 

कलेक्टर अब क्या कह रहे हैं

तरूण पिथौड़े, कलेक्टर का कहना है कि भोपाल जैसे तालाबों के शहर में बोट संचालन पर नियंत्रण जरूरी है। इसी दृष्टि से यह आदेश जारी किया गया है। विसर्जन के दौरान धार्मिक मान्यताओं के कारण इस पर सख्ती नहीं की। अगले कुछ दिनों में हम इसका सख्ती से पालन सुनिश्चित करेंगे। व्यवस्था की दृष्टि से बोटिंग पर पर्यटन निगम का ही नियंत्रण उचित है। नगर निगम केवल मछली पकड़ने के लिए बोट का रजिस्ट्रेशन करेगा।

क्या कलेक्टर की चूक गंभीर अपराध है

यहां एक बड़ा मामला सामने आता है। एक अधिकारी को जानकारी थी कि व्यवस्था कैसे बनाई जाए, उसने एक दस्तावेज में उसे क्रमबद्ध लिखा भी है परंतु व्यव्स्था का पालन नहीं करवाया। टीम को तैनात नहीं किया, सुपरविजन नहीं किया गया। यहां तक कि नाविक नशे में है या नहीं, इसकी जांच भी नहीं की गई। घटना स्थल पर एक भी सरकारी कर्मचारी नहीं था। जबकि यही तो कलेक्टर की जिम्मेदारी है। 
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