भोपाल। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर विचार किया जा रहा है, जल्द ही फैसला आ सकता है। इसके तहत देश भर में स्नातक पाठ्यक्रम 3 के बजाए 4 साल के हो जाएंगे। फायदा यह है कि इसके बाद सीधे पीएचडी कर सकते हैं परंतु यदि ना करना चाहें तो भी स्नातक पाठ्यक्रम 4 साल का ही रहेगा। (On the recommendation of the expert committee of UGC, graduate courses in India will be 4 years instead of 3. The advantage is that after this, you can do PhD directly, but even if you do not want to do, the graduate course will remain 4 years.) यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह ने इस बात की पुष्टि की है।
यूजीसी की विशेषज्ञ समिति ने रिपोर्ट सौंप दी है
भोपाल के पत्रकार श्री अभिषेक दुबे की रिपोर्ट के अनुसार विश्वविद्यालयों में वर्तमान में स्नातक पाठ्यक्रम तीन साल का और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम दो साल का होता है। इसके बाद ही किसी छात्र को पीएचडी में प्रवेश मिल सकता है। दरअसल यूजीसी देश की शिक्षा नीति में बड़े स्तर पर फेरबदल करने जा रहा है। इसके लिए यूजीसी ने एक विशेषज्ञ समिति गठित की है। इसी कमेटी ने शिक्षा नीति में बदलाव के लिए यूजीसी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
स्नातक पाठ्यक्रम के बाद सीधे Phd
इसमें ऐसी ही कई सिफारिशें की गई हैं। स्नातक पाठ्यक्रम के चौथे साल में शोध को केंद्र में रखा जा सकता है। वहीं इस दौरान विश्वविद्यालयों को तीन वर्षीय परंपरागत स्नातक पाठ्यक्रम चलाने की छूट भी मिलेगी। इसके अलावा अगर कोई छात्र चार साल का स्नातक पाठ्यक्रम करने के बाद पीएचडी के बजाए स्नातकोत्तर करना चाहता है तो उसे ऐसा करने की छूट मिलेगी। वर्तमान में तकनीकी शिक्षा के बैचलर ऑफ टेक्नॉलॉजी (बीटेक) या बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम हैं। उनके बाद छात्र सीधे पीएचडी में प्रवेश ले सकते हैं।
स्नातक पाठ्यक्रम 4 साल का होगा
प्रो. डीपी सिंह ने बताया कि शिक्षा नीति में बदलाव के पहले गठित कमेटी ने रिपोर्ट में स्नातक पाठ्यक्रम की अवधि तीन साल से बढ़ाकर चार साल किए जाने की सिफारिश की है। इसके अलावा भी कमेटी ने कई सिफारिशें की हैं। हर सिफारिश पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। यह नीति देश को नई दिशा देने वाली होगी। इस वजह से इसके हर बिंदु को अच्छी तरह से परख कर ही लागू किया जाएगा। नई नीति अगले साल से लागू की जा सकती है।
दिल्ली में एक साल में ही वापस लेना पड़ा था निर्णय
दिल्ली विश्वविद्यालय में 2013 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम शुरू किए गए थे। इसके लागू होने के साथ ही छात्रों ने इसका जमकर विरोध शुरू कर दिया था। 2014 में भाजपा सरकार बनने के बाद तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इस निर्णय को वापस लेते हुए दोबारा तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम ही शुरू कर दिए थे।
बिना वजह किया जा रहा है प्रयोग
शिक्षाविद् अरुण गुर्टु का कहना है कि यूजीसी ने शिक्षा नीति में बदलाव के लिए जो ड्राफ्ट तैयार किया है, उसमें कई खामियां है। स्नातक की अवधि भी तीन साल से बढ़ाकर चार साल करना औचित्यहीन है। इसका कोई फायदा छात्र को होने वाला नहीं है। यूजीसी जो पांच के बजाए चार साल में करने का फायदा छात्र को बता रही है, वह भी कोई मतलब का नहीं है। वैसे पीएचडी में भी जमकर फर्जीवाड़ा हो रहा है। यूजीसी को ऐसे औचित्यहीन निर्णय लेने के बजाए विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की फैकल्टी व बुनियादी ढांचा मजबूत करने पर ज्यादा फोकस करना चाहिए।