नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी सरकारी टेलीकॉम कंपनी BSNL, नीति नियंताओं की अयोग्यता, कर्मचारियों की लापरवाही और सबसे बड़े घोटाले का शिकार हो गई। देश की सबसे बड़ी जरूरत रही कंपनी की सेवाएं लगातार खराब होती रहीं, ग्राहक टूटते गए और अब हालात यह है कि घाटे के नाम पर 70 से 80 हजार कर्मचारियों को VRS यानी वॉलंटरी रिटायरमेंट देने की तैयारी की जा रही है। यानी जल्द ही BSNL का आम ग्राहकों से सीधा रिश्ता खत्म होने वाला है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार से मंजूरी मिलते ही इन कर्मचारियों (BSNL Employees) को एक आकर्षक पैकेज देकर रिटायर कर दिया जाएगा। इकोनॉमिक टाइम्स (Economic Times) को दिए एक इंटरव्यु में BSNL के चेयरमैन प्रवीण कुमार पुरवार ये बात कहीं है। उन्होंने कहा है कि BSNL में बहुत कर्मचारी हैं। यदि 60 से 70 हजार भी VRS लेते हैं तो 1 लाख कर्मचारी बचेंगे। आपको बता दें कि बीएसएनएल पर लगभग 15,000 करोड़ रुपए का कर्ज है।
वीण कुमार पुरवार ने बताया है कि जमीन लीज और रेंट पर देकर अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं। अभी हम 200 करोड़ रुपये के राजस्व की उम्मीद कर रहे हैं और इसे आसानी से 1000 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है। यह वार्षिक राजस्व हैै। अगले 12-15 महीनों में हमें इस पर जोर देना है। हमारे पास 68 हजार टावर्स हैं। 13-14 हजार टावर हमने दूसरों को दिए हैं। हम टावर्स की किरायेदारी बढ़ाने की संभावना तलाश रहे हैं ताकि अतिरिक्त आमदनी आर्जित की जा सके।
BSNL घोटाला क्या है
साल 2008 में बीएसएनएल की सहयोगी कंपनी में एमटीएनएल ने भारत में सबसे पहले 3जी सर्विस लॉन्च की थी। फरवरी 2009 में बीएसएनल ने 3जी सर्विस लॉन्च की। अप्रैल 2010 में प्राइवेट नेटवर्क ऑपरेटर्स को 3जी सर्विस लॉन्च करने का लाइसेंस मिला। इस तरह 2010 तक BSNL सबसे आगे चल रही थी लेकिन 4G की रेस में BSNL को रोक दिया गया। BSNL के नीति नियंताओं ने जान बूझकर 4जी सर्विस शुरू ही नहीं की। इसके अलावा अपने ग्राहकों को हतोत्साहित करने के लिए BSNL ने अपने 3जी टैरिफ के दाम कम नहीं किए। BSNL ग्राहकों का डेटा लीक हुआ और प्राइवेट कंपनियों ने उन ग्राहकों को कंपनी बदलने के लिए राजी किया। इस तरह BSNL के ग्राहकों की बहुत बड़ी संख्या दूसरी कंपनियों के पास चली गई और कंपनी 15000 करोड़ के घाटे में डाल दी गई।