भोपाल। मध्यप्रदेश में हुए 3000 करोड़ के ई-टेंडर घोटाले में EOW पिछले महीने तक काफी सुर्खियों में थी। EOW ने पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के आसपास शिकंजा कस लिया था। कई किसानों को नोटिस जारी हुए थे, उसके बाद यह अध्याय शायद स्थगित कर दिया गया है। अब EOW ने पांच विभागों के टेंडर ओपनिंग अथॉरिटी को नोटिस भेजकर लिखित में जवाब मांगा है। इन पांच विभागों में जल निगम, PUI, PWD, MPRDC और जल संसाधन विभाग शामिल हैं।
सभी इंजीनियर्स को सवालों का एक फॉर्मेट दिया गया है
5 विभागों के इंजीनियर्स को EOW ने जारी किया नोटिसई टेंडर घोटाले में जैसे-जैसे ईओडब्ल्यू की जांच आगे बढ़ते जा रही है, वैसे वैसे खुलासे होते जा रहे हैं। ईओडब्ल्यू ने जिन पांच विभागों के टेंडरों को लेकर एफआईआर दर्ज की है। उन विभागों के टेंडर ओपनिंग अथॉरिटी को भी नोटिस जारी किया गया है। इन सभी इंजीनियर से ईओडब्ल्यू ने लिखित में जवाब मांगा है इन सभी को सवालों का एक फॉर्मेट दिया गया है उस फॉर्मेट के तहत तय समय में टेंडर ओपनिंग अथॉरिटी को ईओडब्ल्यू को जवाब देना है।
मामला डिजिटल सिग्नेचर के दुरुपयोग का है
ईओडब्ल्यू डीजी केएन तिवारी के मुताबिक इन सभी टेंडर ओपनिंग अथॉरिटीज ने किसी ना किसी को अपने विभाग में अधिकृत कर उन्हें डिजिटल सिग्नेचर की चाबी सौंप रखी थी और अधिकारियों के जगह दूसरे ही लोग इन सिग्नेचर की का इस्तेमाल करते थे। जबकि डिजिटल सिग्नेचर की पर्सनल प्रॉपर्टी की तरह होती है। जिस किसी के भी नाम पर इसे इशू किया जाता है। सिर्फ वही व्यक्ति डिजिटल सिग्नेचर की का इस्तेमाल कर सकता है लेकिन इन विभागों में ऐसा नहीं हुआ।
किस इंजीनियर के डिजिटल सिग्नेचर कौन इस्तेमाल कर रहा था
PIU : इस विभाग के टेंडर ओपनिंग अथॉरिटी विजय सिंह वर्मा थे लेकिन डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल उनके सहयोगी आरसी वर्मा कर रहे थे।
PWD : पीडब्ल्यूडी विभाग के टेंडर ओपनिंग अथॉरिटी अखिलेश उपाध्याय थे लेकिन इस दौरान उनका ट्रांसफर हो गया और उनके सहयोगी नरेंद्र कुमार डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल करने लगे। जबकि अखिलेश उपाध्याय को अपनी डिजिटल सिग्नेचर की सरेंडर करनी चाहिए थी और नरेंद्र कुमार को अपनी डिजिटल सिग्नेचर की बनवानी चाहिए थी।
PMRDC : इस विभाग के टेंडर ओपनिंग अथॉरिटी पीयूष चतुर्वेदी थे लेकिन इनकी डिजिटल सिग्नेचर की आरके तिवारी इस्तेमाल कर रहे थे।
जल संसाधन विभाग : इस विभाग के टेंडर ओपनिंग अथॉरिटी आशीष महाजन थे लेकिन यहां तो 4 से 5 सहायक यंत्री डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल कर रहे थे।