पोषणाहार : आईने को अपराधी बनाने की कोशिश | EDITORIAL by Rakesh Dubey

NEWS ROOM
नई दिल्ली। देश के लगभग सभी राज्यों में अरबों रुपयों की मिड-डे मील योजना बच्चों के स्वास्थ्य और उनकी शिक्षा को ध्यान में रख कर चलायी जा रही है। नियम से पौष्टिक भोजन दिये जाने के दावे सरकारें लगातार करती रही हैं। जब तब इन दावों पर सवालिया निशान लगे हैं, पर अब आईना दिखने वाले को ही कठघरे में खड़ा करने की कवायद हो रही है | कहने को मामला उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर का है, परन्तु उसके प्रतिबिम्ब मध्यप्रदेश सहित देश के किसी भी राज्य में देखा जा सकता है | 

उत्तरप्रदेश में घटना उजागर करने वाले पत्रकार को ही आरोपी बना दिया गया है | मध्यप्रदेश, इस मामले में उत्तरप्रदेश से एक कदम आगे है, जिस पोषण आहार प्रदायक कम्पनी पर अनेकों गडबडी का आरोप है उसे फिर से यह काम सौंप दिया गया है, शायद नाम बदल कर | उत्तर प्रदेश में घटना उजागर करने वाला पत्रकार है तो मध्यप्रदेश में एक मीडिया हॉउस के कर्ता-धर्ता सरकारी अफसरों के साथ इसमें शामिल बताये जा रहे हैं |

मिर्जापुर मिड-डे मील कांड के भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले पत्रकार को ही आई.पी.सी. की कई धाराएं लगाकर आरोपी बना दिया गया है! पत्रकार का एक अपराध यह भी है कि प्रिंट मीडिया का पत्रकार होने के बावजूद उसने बच्चों को नमक-रोटी खिलाने की घटना का वीडियो क्यों और कैसे बनाया? इस मामले में प्रशासन की बुद्धि पर सिर्फ तरस ही खाया जा सकता है। यह तो न्यायालय ही बतायेगा कि भ्रष्टाचार का एक चेहरा दिखाने वाला पत्रकार अपराधी है या नहीं, पर यह सारा किस्सा व्यवस्था में लगी दीमक को ही उजागर करने का है।

मुख्यधारा का मीडिया अब एक गांव में पल रहे भ्रष्टाचार की इस खबर पर कुछ ध्यान दे रहा है, वरना हकीकत यह है कि मुख्यधारा का मीडिया, जिसमें बड़े मीडिया हॉउस और खबरिया चैनल प्रमुख हैं, समाज और व्यवस्था की विसंगतियों को उजागर करने को शायद अपना काम मानते ही नहीं है।सही मायने में देश में कोई ऐसा प्रदेश नहीं है जहाँ पोषण आहार में भ्रष्टाचार का भूत समाज के सर चढ़कर नहीं बोल रहा है। संतरी से लेकर मंत्री तक इस भ्रष्टाचार में शामिल दिख रहे हैं।

इस घटना में बच्चों को मिड-डे मील में सिर्फ नमक-रोटी खिलाकर संबंधित व्यक्ति ने कितना पैसा कमा लिया होगा, पता नहीं, पर यह सबको पता है कि इस योजना के भ्रष्टाचार में नीचे से लेकर ऊपर तक के लोगों की हिस्सेदारी के उदाहरण मिलते रहे हैं। ऐसे ही अस्पतालों में मरीज़ों को मिलने वाली दवाएं ग़ायब हो जाती हैं, आक्सीजन के अभाव में बच्चे दम तोड़ देते हैं, घटिया सामग्री से बनी सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाएं तो जैसे सामान्य घटना मात्र बनकर रह गयी हैं |

आज भले ही चुटकी भर नमक, मुहावरा-सा लगता हो, पर हकीकत यह है कि चुटकी भर नमक मानवीय संवेदनाओं को चुनौती दे रहा है। मिर्जापुर के उस स्कूल में बच्चों की थाली में पड़ा चुटकी भर नमक पूरे समाज की संवेदना और मानसिकता पर सवालिया निशान लगा रहा है। इस चुटकी भर नमक से ही महात्मा गांधी ने पूरे अंग्रेज़ी साम्राज्य को चुनौती दी थी|

इस मामले में सूचना देने वाले पत्रकार को शिकार बनाया जा रहा है, वह भ्रष्टाचार-मुक्त भारत बनाने के सारे दावों की पोल खोलकर रख देता है। यदि उस पत्रकार ने अन्य कोई ग़लती की है तो ज़रूर उसकी जांच होनी चाहिए, लेकिन मिड-डे मील में चल रहे भ्रष्टाचार के आरोप वाले मुद्दे में संबंधित पत्रकार को इस तरह आरोपी बनाया जाना एक शर्मनाक उदाहरण है। इस तरह की हर कोशिश को नाकामयाब करके ही भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को किसी सार्थक परिणाम तक पहुंचाया जा सकता है।

हर भ्रष्टाचार की तह में धनबल और बाहुबल संरक्षक के रूप में है और इस बल के समक्ष सामान्य व्यक्ति स्वयं को असहाय पा रहा है। आवश्यकता अपने भीतर साहस जगाकर इस स्थिति को बदलने की है। सवाल न्याय की मांग का है, न्याय के पक्ष में खड़ा होने का है। जनतंत्र में हर नागरिक को यह दायित्व निभाना होगा और शासन से अपेक्षा की जाती है कि वह नागरिक के अधिकारों की रक्षा करे। आईना दिखाने वालों को अपराधी न माने |
देश और मध्यप्रदेश की बड़ी खबरें MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए (यहां क्लिक करेंया फिर प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!