नई दिल्ली। कल रात टीवी पर “हाऊडी-मोदी” ("Howdy-Modi" show) देखकर बहुत से भारतीय ह्तप्रभ हैं | भारत में ऐसे शो होते ही कहाँ है, चुनाव के दौरान ऐसे शो की झलक भर दिखती है | साढ़े 22 लाख की आबादी वाले ह्यूस्टन में दुनिया की 90 भाषाएं बोली जाती हैं। एक-दूसरे को हैलो बोलने के लिए लोग 'हाउडी का इस्तेमाल करते हैं। डेढ़ लाख भारतीय मूल के अमेरिकी यहां रहते हैं। इनमें से 200 लोगों के एक ग्रुप,ने 'हाउडी मोदी का आयोजन किया था। इस निमित्त 2.4 मिलियन डॉलर (17 करोड़ 10 लाख रूपये ) जुटाये,और 'हाउडी मोदी शो साकार हो गया ।
कयास था कि ह्यूस्टन में रहने वाले गुजरातियों का कोई ग्रुप होगा। मगर, नहीं। यह दक्षिण की लॉबी है, जो पिछले पांच वर्षों से मोदी-मोदी में लगी है। इनमें जुगल मलानी सबसे आगे हैं। गूगल पर इनके परिवार के साथ पीएम मोदी दिखेंगे। कर्नाटक के बीदर में जन्मे जुगल मलानी 1981 से ह्यूस्टन में रह रहे हैं। अपनी तदबीर और तकदीर से इंडस्ट्रीयल प्रोडक्ट कंपनी खड़ी कर ली, जहां कोई डेढ़ सौ कर्मचारी काम करते हैं। पत्नी न्यूरोलॉजिस्ट हैं। कर्नाटक से एक और बड़ा नाम इस ग्रुप में है, भामी वी. शिनॉय (Bhami V. Shinoy)। जार्जिया के नेशनल ऑयल कंपनी से जुड़े थे। गैस और क्रूड ऑयल की कंपनी 'कोनोको फिलिप्स में स्ट्रेटिजिक प्लानिंग मैनेजर रह चुके हैं, और इस समय ऊर्जा कारोबारी हैं। ये दोनों मोदी के आराधक हैं, समय-समय पर पी. चिदंबरम के मामले में कुछ न कुछ उछालते हैं।
भामी वी. शिनॉय ने पीएम मोदी को इस आयोजन के लिए जो पत्र मेल किया, वह काफी दिलचस्प है। उस पत्र में पीएम मोदी की कश्मीर से लेकर कामधेनु नीति का जो यशोगान किया है, वह भामी की भक्ति रस के परिचय के लिए काफी है। कश्मीर में जो कुछ हुआ, उसे उचित ठहराते हुए भामी वी. शिनॉय ने लिखा कि घाटी के 80 लाख मुसलमान, देश के 20 करोड़ मुसलमानों से भिन्न नहीं हैं। यदि मुसलमानों के साथ इतना बुरा बर्ताव हो रहा है, तो बांग्लादेशी मुसलमान यहां क्यों आ रहे हैं? मोदी सरकार की कश्मीर नीति को विश्व समुदाय द्वारा समर्थन का अर्थ यह है कि वो जिहाद और खलाफत के सफाये में हमारी मदद कर रहे हैं। मोदी की गौ संरक्षण नीति की प्रशंसा करते हुए लिखा कि इससे शाकाहार को बढ़ावा मिलेगा। शिनॉय के पत्र का दिलचस्प हिस्सा देश की बदलने वाली शिक्षा नीति है। उन्होंने मोदी सरकार की ड्राफ्ट न्यू एजुकेशन पॉलिसी (डीएनएपी) पर लिखा,'मोदी जी, इससे मैकाले की शिक्षा नीति से मुक्ति मिलने वाली है। इस वास्ते प्रवासी भारतीयों का जो ब्रेन बैंक है, उसका इस्तेमाल आप अवश्य करें।
ऊर्जा कारोबारी भामी वी. शिनॉय ने 1140 शब्दों के इस खुले पत्र को उन सभी 50 हजार लोगों को मेल किया है, जिन्होंने 'हाउडी मोदी शो में आने के लिए रजिस्टर्ड कराया था। यह खुला पत्र एक तरह से आयोजकों के उद्देश्य का आइना है, कि वे किन कारणों से इस शो का आयोजन कर रहे हैं। प्रवासी भारतीयों के लिए एक तरह से इसे नीति निर्देशक भी माना जाना चाहिए। इस खुले पत्र को बहुत सोच-समझकर, पूरी योजना के साथ प्रस्तुत किया गया है। ऊर्जा कारोबारी भामी वी. शिनॉय ने पीएम मोदी को भेजे पत्र में यह भी सुझाव दिया है कि आप गैस सेक्टर को और उदार बनायें, ताकि अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश कर सकें। राष्ट्रीय चेतना बढ़ाने के साथ-साथ धंघा भी चोखा हो यही 'हाउडी मोदी मेगा शो का मूल उद्देश्य था ।
अब सवाल यह है कि अमेरिकी प्रेसिडेंट ट्रंप (American President Trump) बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना क्यों बन रहे हैं? क्या उसके पीछे उनका कारोबारी दिमाग है, या फिर 3 नवंबर 2020 को होने वाला राष्ट्रपति चुनाव है? 1.3 प्रतिशत इंडियन-अमेरिकन प्रेसिडेंट ट्रंप के लिए कितना मायने रखते हैं, और क्या सभी 46 लाख इंडियन-अमेरिकन पीएम मोदी के आह्वान पर रिपब्लिकन पार्टी के लिए वोट डालने चल देंगे? ऐसे सवाल को अगले 13 महीनों के वास्ते छोड़ देना चाहिए। 'हाउडी मोदी मेगा शो में तो बस यही होगा, 'तू मेरे लिए –मैं तेरे लिए| 'हाउडी मोदी शो के प्रकारांतर पीएम मोदी की जो बिजनेस मीटिंग ऊर्जा के क्षेत्र के दिग्गज सीईओ से होनी है, उनमें से कुछ वही लोग हैं, जो इस समय ह्यूस्टन में समां बांधे हुए हैं। मोदी की 20 द्विपक्षीय बैठकें होनी हैं। 27 सितंबर को पीएम मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे। 'आतंकवाद, पर्यावरण, विश्व विकास में भारत का योगदान जैसे विचार फलक की प्रस्तुति होगी। उनके ठीक बाद इमरान खान को भी यूएन में बोलना है। ऐसा क्या यह संभव है, कश्मीर पर पाकिस्तानी पीएम चर्चा ही न करें?
यह नाज़ुक वक्त है। कूटनीतिकों को लगता है कि भारतीय मूल के सांसद आरओ खन्ना के बयानों का दुरूपयोग,पाकिस्तान शुरू न कर दे। यूएस कांग्रेसमैन एंडी लेविन, सीनेटर बर्नी सेंडर्स, मिन्सोटा के डेमोक्रेट सांसद इल्हान उमर, कैलीफोर्निया के डेमोक्रेट सभासद टेड लिउ 'कांग्रेसनल कॉकस ऑन पाकिस्तान के मुखर चेहरे हैं। कश्मीर तो दरअसल एक बहाना है, मकसद उसके नाम पर एशियन वोट बैंक को बांटकर अमेरिकी चुनाव में उल्लू साधना है। रिपब्लिकन पार्टी का हरावल दस्ता मोदी की पीठ ठोककर इंडियन अमेरिकन वोट को अपने पाले में करना चाहता है, ताकि ट्रंप मजबूत हों। उसके ठीक उलट डेमोक्रेट कश्मीर में मानवाधिकार और 370 पर सवाल कर रहे हैं।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।