नई दिल्ली। कांग्रेस के शक्तिशाली नेता देश के पूर्व गृह और वित्तमंत्री पी चिदंबरम तिहाड़ जेल में हैं | सुविधा के अर्थों में उन्हें अलग सेल में रखा गया है जिसमे सोने के लिए खटिया और शौचालय की सुविधा है, पर नींद हराम है | सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मामले में अग्रिम जमानत से इनकार कर दिया है| अब जेल की विशेष कोठरी उनका ठिकाना है |
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा, “इस केस में एजेंसी को कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता| हमने सील कवर को इसलिए नहीं देखा ताकि हमारी टिप्पणियों का केस के ट्रायल पर कोई असर ना पड़े| कोर्ट इस बात से सहमत है कि इस मामले में चिदंबरम इसे हिरासत में पूछताछ होनी चाहिए|”' कोर्ट ने आर्थिक अपराधों पर सुप्रीम कोर्ट का पुराना फैसले को दोहराया. कोर्ट ने कहा, ''ये अग्रिम जमानत के लिए फिट केस नहीं है| मनी लॉन्ड्रिंग में पैसा कई देशों में घूमता है| इसकी वैज्ञानिक और पुख्ता जांच जरूरी है| लैटर ऑफ रोगेटरी भी भेजी गई है|अगर अग्रिम जमानत दी गई तो जांच प्रभावित होगी. ये कोई असाधरण मामला नहीं है|''अब किसी को इस बात पर संदेह करने की गुंजाइश कम बचती है कि यह “बदलापुर की कहानी” है |
कांग्रेस चिदंबरम के खिलाफ जांच एजेंसियों के एक साथ इस तरीके से झपट पड़ने को सियासत के 'बदलापुर' का रंग देने की कोशिश कर रही थी |कांग्रेस यही समझाने की कोशिश करती रही है कि चिदंबरम के खिलाफ मामला कानूनी कम और राजनीतिक ज्यादा है | यहाँ तक कहा गया - ये एक मौजूदा गृह मंत्री के एक पूर्व गृह मंत्री के खिलाफ बदले की कार्रवाई है| कांग्रेस की इस कहानी पर विश्वास करें तो यह गुजरात के सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस में इस ताजा सियासी शह-मात की नींव लगती है|
सबको पता है कि पी. चिदंबरम 29 नवंबर, 2008 से 31जुलाई 2012 तक केंद्र सरकार में गृह मंत्री थे| 25 जुलाई 2010 को सीबीआई ने वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह को गिरफ्तार किया था और फिर जेल भेज दिया था| यही वो वजह है जिसे आधार बनाकर कांग्रेस बीजेपी सरकार पर 'बदलापुर' आरोप लगा रही है | क्योंकि अब अमित शाह देश के गृह मंत्री बन चुके हैं. अमित शाह तो पहले ही इस केस में बरी हो चुके थे और हाल फिलहाल तो अदालत ने केस के सभी आरोपियों को बरी कर दिया|सुप्रीम कोर्ट से लेकर मीडिया और सोशल मीडिया तक - हर जगह कांग्रेस पार्टी पी. चिदंबरम के बचाव में लामबंद होकर मोर्चे पर डटी रही है| चिदंबरम के खिलाफ जांच एजेंसियों की सक्रियता पर सवाल तो राहुल गांधी ने भी उठाया है, लेकिन सबसे पहले प्रियंका गांधी वाड्रा मैदान में उतरीं|प्रियंका गांधी वाड्रा ने पी. चिंदबरम का सपोर्ट किया है उन्हें रॉबर्ट वाड्रा के साथ हुई कार्रवाई का अनुभव था |संयोग से दोनों मामलों में जांच एजेंसी एक ही है| एक में वे परिवार के साथ थी ,दूसरे में पार्टी केसाथ|
कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह ने पूरे प्रकरण को लेकर एक सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर ये सब बीजेपी विरोधियों के साथ क्यों होता है और भगवा ओढ़ते ही सारे केस क्यों खत्म हो जाते हैं?वैसे जांच एजेंसियों से बचने के लिए पी. चिदंबरम अब तक दिल्ली हाई कोर्ट की मदद लेते रहे हैं. 25 जुलाई, 2018 को दिल्ली हाई कोर्ट ने चिदंबरम को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत पर उन्हें बचत आवरण मिलता रहा | वो भी इतना लम्बा की रिकार्ड बन गया | जब चिदंबरम एजेंसियों के हाथ नहीं लगे तो, उनके वकील ने ज्यादा तैयारी के साथ दलील पेश की और हत्या के एक मामले में गिरफ्तार इंद्राणी मुखर्जी का इकबालिया बयान ही चिदंबरम के खिलाफ केस को मजबूत बना रहा है |
24 पेज के फैसले में दिल्ली हाई कोर्ट ने चिदंबरम को मनी लॉन्ड्रिंग के आई एन एक्स मीडिया केस में 'किंगपिन' यानी 'मुख्य साजिशकर्ता' माना और इसी के चलते उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गयी है| अब भी बेल का खेल चल रहा है और चिदम्बरम जेल में है |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।