नई दिल्ली। चन्द्रयान-2 की लगभग पूर्ण सफलता की कहानी की भारत में ही नहीं वैश्विक प्रशंसा हो रही है | यह पूर्णता के नजदीक के सफल वैज्ञानिक संघर्ष की सफल दास्ताँ जो है | फ्रांस के अखबार ‘ली मोन्ड’ ने लिखा- बिना किसी मानवीय दखल के सॉफ्ट लैंडिंग बहुत मुश्किल थी, भारत ने कर दिखाया| न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा- इसरो की इंजीनियरिंग कमाल की है, भारत में अंतरिक्ष अब एक पॉपुलर टॉपिक बन गया है, श्रेय भारत को |फ्रांस की स्पेस एजेंसी ने कहा- भारत ने वहां जाने की हिम्मत दिखाई, जहां भविष्य में इंसान बसना चाहेंगे|
हमें गर्व होना चाहिए कि अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में भारत दुनिया में सबसे अग्रणी देशों में शुमार है और दक्षिण एशिया में नंबर एक है| कहने को दक्षिण एशिया में आठ देश हैं, भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और मालदीव| अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में सिर्फ पाकिस्तान ही थोड़ा बहुत प्रयास कर पा रहा है, वह भी न के बराबर. भारत तो इनसे बहुत आगे है| पड़ोसी देश चीन टक्कर देता है लेकिन हर भारतीय को इस बात पर गर्व होना चाहिए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में अभी दुनिया का सबसे भरोसेमंद संगठन है| वैसे तो अंतरिक्ष के क्षेत्र में पाकिस्तान ने 16 सितंबर 1961 में स्पेस एंड अपर एटमॉसफेयर रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन बनाया| वह भी भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के आधिकारिक गठन से करीब आठ साल पहले, लेकिन आज वो रेस में ही नहीं है| इसरो की स्थापना 1969 में हुई, उससे पहले भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी का नाम इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च था| भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाई है |
अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में आज बेवजह टिप्पणी कर रहे पाकिस्तान का भारत के सामने कोई वजूद ही नहीं है| सिर्फ चीन ही है जो भारत से कुछ मामलों में आगे है, लेकिन उसके भी अभियानों ने दुनिया को उतना हैरान नहीं किया, जितना इसरो ने किया है | अमेरिका, रूस और यूके के बाद चीन चौथा देश है जिसके पास मानव को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता है| उसका अपना अंतरिक्ष स्टेशन तियानगॉन्ग-1 और 2 है| चीन का सबसे भरोसेमंद रॉकेट लॉन्ग मार्च है| 2007 में ही लॉन्ग मार्च की 100 वीं उड़ान पूरी हुई थी| इसी रॉकेट से चीन ने 2003 में अपना मानव मिशन भेजा था| इसी रॉकेट से उसने 2007 में अपना चंद्र मिशन चांगई-1 लॉन्च किया था|कहने को चंद्रमा पर चीन के दो ऑर्बिटर चक्कर लगा रहे हैं| पहला चांगई-1 और दूसरा चांगई-2, लेकिन, भारतीय चंद्रयान-1 ने पहले ही मौके पर चांद पर पानी खोजकर सदी की सबसे महत्वपूर्ण जानकारी दी| वर्ष 2011 में चीन ने रूस के साथ मिलकर मंगल पर अपना मिशन यिंगहुओ-1 लॉन्च किया था, लेकिन यह पृथ्वी की कक्षा से ही बाहर नहीं जा पाया|इसके विपरीत , इसरो के मंगलयान ने दुनियाभर में कामयाबी के झंडे गाड़े| भारत मंगल तक अपना उपग्रह पहुंचाने वाला चौथा देश बन गया है | जबकि चीन 2020 में मंगल पर अपना लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर भेजने की तैयारी में लगा है|
भारत का आत्म विश्वास और देश के नागरिकों का समर्थन इस अभियान को निरंतर नये आयाम देगा | सरकार का वैज्ञानिक दृष्टिकोण और उसे मिलने वाला जन समर्थन वैज्ञानिकों में जोश भरता है | चन्द्रयान की यहाँ तक की सफलता पड़ाव है, शिखर नहीं | इस विश्वास के साथ शिखर शीघ्र हमारे कदमों तले होगा और भारत का परचम वहां लहराएगा | भारत अन्तरिक्ष विज्ञान में शीर्ष पर रहा है, इसकी गवाही हमारे शास्त्र देते हैं | हम शीर्ष पर थे, हम बढ़ रहे हैं और शीर्ष पर होंगे |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।