इंदौर। इंदौर शहर बॉलीवुड फिल्म निर्माता-निर्देशकों का पसंदीदा शूटिंग डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में इंदौर और इसके आसपास महेश्वर, मांडू आदि स्थानों पर बॉलीवुड की कई फिल्मों की शूटिंग हुई है, जिन्होंने दुनियाभर के बॉक्स ऑफिस पर अपनी सुपरहिट आमद दर्ज कराई। यूं तो शहर में फिल्मों की शूटिंग का इतिहास 1952 में प्रदर्शित हुई फिल्म 'आन' से मिलता है। राजकपूर से लेकर आदित्य राय कपूर तक अभिनीत कई फिल्मों की शूटिंग इंदौर में हुई।
फिल्मों के प्रति शहर का सकारात्मक रुख तथा यहां के हुनर को फिल्मी जगत की और भी बारीकियों से रूबरू कराने के लिए विश्व का सबसे बड़ा घुमंतू फिल्म फेस्टिवल 'जागरण फिल्म फेस्टिवल' का 10वां संस्करण अब शहर में आ रहा है। दुनिया की नायाब फिल्मों के प्रदर्शन के साथ उनसे जुड़े विशेषज्ञों और फिल्म निर्देशकों को साथ लिए इस फिल्म फेस्टिवल का आगाज शहर में 6 सितंबर से होने जा रहा है।
सी 21 मॉल स्थित आइनॉक्स में आयोजित हो रहे इस फिल्म फेस्टिवल में हिंदी, मराठी और अंग्रेजी फिल्में प्रदर्शित होंगी। फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन फिल्म 'चिंटू का बर्थडे' के प्रदर्शन से होगा। देश के विभिन्न शहरों से होता हुआ यह फिल्म फेस्टिवल अब इंदौर के फिल्म प्रशंसकों, फिल्म कलाकारों और फिल्म से जुड़े लोगों के लिए खास तौर पर आयोजित किया जा रहा है।
शहर में फिल्मों को लेकर रूझान और फिल्म निर्माण को लेकर मिलने वाली सहुलियतों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हालिया फिल्मों में शहर और शहर के आसपास के क्षेत्र जैसे महेश्वर, मांडू में 'दबंग-3, मणिकर्णिका, कलंक, पैडमैन, यंगिस्तान, सिंह साहब द ग्रेट, यमला पगला दीवाना' जैसी कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। पिछले एक साल में ही यहां करीब आधा दर्जन फिल्मों की शूटिंग की जा चुकी है। यही हिंदी फिल्में ही नहीं, बल्कि दक्षिण भारतीय फिल्मों की शूटिंग के लिए भी शहर और आसपास की लोकेशन को पसंद किया गया। शहर में आयोजित होने वाले जागरण फिल्म फेस्टिवल के मद्देनजर हम आपको शहर से जुड़ी फिल्मी दुनिया की कुछ जानकारियां साझा कर रहे हैं।
इंदौर में फिल्म की शूटिंग का लंबा इतिहास रहा है। राजकपूर, दिलीप कुमार और देवानंद के दौर से यहां शूटिंग शुरू हो गई थी। यहां 'श्री 420, आन, नौ दो ग्यारह, बहू बेगम, रानी रूपमती, किनारा, तुलसी, सतह से उठता आदमी' आदि फिल्मों की शूटिंग शहर और आसपास के क्षेत्रों में हो चुकी है। इन फिल्मों के बाद में बनी फिल्मों की बात करें तो 'नरसिम्हा, प्यार किया तो डरना क्या, अशोका' जैसी सुपर हिट फिल्में भी यहां शूट हुई हैं।
शहर के रंगकर्मी और कई फिल्मों में अभिनय कर चुके कलाकार श्रीराम जोग के अनुसार मुंबई से इंदौर का आवागमन आसान है। इसके अलावा यहां टेक्निकल स्टाफ, कलाकर और लोकेशन सभी आसानी से मिल जाते हैं और खर्च भी कम आता है। मुंबई में एक जूनियर आर्टिस्ट को एक दिन की शूटिंग के लिए करीब 1500 रुपए दिए जाते हैं, जबकि शहर में यह 500 रुपए तक में आसानी से मिल जाते हैं।
शहर के फिल्म लाइन प्रोड्यूसर हर्ष दवे बताते हैं कि शहर और आसपास के क्षेत्रों में फिल्मों की शूटिंग के लिए रूझान इसलिए बढ़ रहा है, क्योंकि यहां लोकेशंस अच्छी हैं और अभी तक वे एक्स्प्लोर भी नहीं हुई हैं। इसके अलावा यहां प्रशासन, राजनेता, पर्यटन विभाग और लोगों का सहयोग बेहतर ढंग से मिलता है जिसके चलते भी शूटिंग के लिए इसे तवज्जो दी जाने लगी है।
ड्रीमवर्ल्ड मूवीज एंड प्रोडक्शन की कास्टिंग डायरेक्टर अंजलि जायसवाल बताती हैं कि शहर में शूटिंग होने के कारणों में प्रमुख बात यह है कि यह हर मामले में आर्थिक रूप से कम खर्चीला और सहज साबित होता है। बात चाहे ट्रांसपोर्टेशन, होटल, कलाकार, संसाधन आदि की क्यों न हो। यदि इंदौर में शूटिंग होती है तो जूनियर आर्टिस्टों में शत प्रतिशत कलाकार शहर व आसपास के ही होते हैं। यदि बी ग्रेड आर्टिस्ट को भी रोल देने की बात आती है तो वे भी 40 से 60 प्रतिशत होते हैं।