नई दिल्ली। केवल लंबित एफआईआर किसी को सरकारी नौकरी से अयोग्य ठहराने का आधार नहीं हो सकता। हाईकोर्ट ने यह बात सीआरपीएफ के एक सब इंस्पेक्टर की नियुक्ति चार सप्ताह के भीतर करने का आदेश देते हुए कही।
याची की पत्नी ने उसके और परिवार पर दहेज प्रताड़ना की एफआईआर दर्ज करवा रखी थी। इसकी जानकारी खुद याची ने सीआरपीएफ को दी थी जिसके बाद उसे नौकरी से हटा दिया गया। न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर व न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ ने विनीत कुमार शर्मा की याचिका पर सुनवाई के बाद उसके पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसे सब इंस्पेक्टर पद पर तैनात करने का निर्देश सीआरपीएफ को दिया है।
खंडपीठ ने अपने फैसले में गृह मंत्रालय के एक फरवरी 2012 को दिए दिशा निर्देश का हवाला देते हुए कहा कि महज एफआईआर का दर्ज होना और उससे संबंधित लंबित जांच किसी की उम्मीदवारी खारिज करने का आधार नहीं हो सकता।
याची की उम्मीदवारी रद्द करने संबंधी सीआरपीएफ के सभी आदेशों को रद्द कर दिया है। हालांकि हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि याची के खिलाफ दर्ज एफआईआर में उसके खिलाफ कार्रवाई होती है तो इसके बाद नियमानुसार सीआरपीएफ विचार कर सकती है।
पेश याचिका में कहा गया था कि सीआरपीएफ में एसआई के पद पर नियुक्ति संबंधी 22 अप्रैल 2017 के विज्ञापन के बाद याची ने इसके लिए आवेदन किया था। उसने पांच जुलाई 2017 को आयोजित परीक्षा भी पास कर ली थी। इसके बाद सभी औपचारिकताओं व मानकों को भी पूरा किया था।
याची को इसके बाद 12 फरवरी 2019 को नियुक्ति पत्र जारी कर उसे 13 मार्च 2019 को पुणे में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था। उसने ट्रेनिंग करना शुरू कर दिया था लेकिन सत्यापन फार्म में उसने खुद एफआईआर होने की घोषणा की थी। इसके बाद उसे नौकरी से हटा दिया गया था।