ग्वालियर। तिघरा के गेट खोलकर पानी बर्बाद करने बजाय इसका जल्द ही सदुपयोग होने लगेगा। इसके लिए जल संसाधन विभाग तिघरा के नीचे सीता का पुरा गांव के पास नया डैम बनाने जा रहा है। 2 करोड़ 71 लाख रुपए लागत से बनने वाले इस बांध में 20 एमसीएफटी पानी स्टॉर किया जा सकता है। इससे शहर को दो दिन तक पानी मिल सकेगा। विभाग ने इसके टेंडर भी अपलोड कर दिए हैं। डैम के पानी को पाइप लाइन के जरिए मोतीझील तक भी पहुंचाया जा सकेगा।
वहीं तिघरा बांध पर नई दीवार बनाकर लीकेज रोकने का काम प्रारंभ होगा। इसके बाद बांध को 740 फीट तक भरा जा सके। वर्ष 2008 से लेकर 2019 तक 35 बार तिघरा के गेट खोले गए हैं, जिससे लगभग 775 एमसीएफटी पानी बेकार बह गया। यदि योजनाबद्घ तरीके से कार्य होता तो इसका उपयोग शहर के लिए किया जा सकता था। ग्वालियर की लाइफ लाइन माने जाने वाले तिघरा बांध की क्षमता 740 फीट तक भरने की है। लेकिन बांध सुरक्षा का कार्य देखने वाले अधिकारियों ने इसे 738 फीट तक भरने का आदेश दिया है। पिछले दो दशक से बांध का जलस्तर 738 फीट पहुंचते ही गेटों को खोल दिया जाता है। सोमवार को भी यहीं हुआ। रविवार रात को हुई मूसलाधार बारिश के कारण तिघरा बांध से 25 एमसीएफटी पानी बहा दिया गया।
तिघरा के नीचे विभाग ने पहले भी दो बांध बनाए हैं। एक स्टॉप डैम साडा क्षेत्र में बना है, जबकि दूसरा महेश्वरा गांव के पास है। तिघरा से छोड़ा जाने वाला पानी पहले साडा और महेश्वरा बांध में आता है। इसके बाद सीता का पुरा बांध में जाएगा, जहां से इसे पाइप लाइन से मोतीझील तक लाया जा सकेगा।
वर्जन
तिघरा बांध को 740 फीट तक तभी भरा जा सकता है जब इसके लीकेज बंद हो जाएं। इसके लिए जल्द ही विश्वस्तरीय कार्य कराया जाएगा। पानी बचाने के लिए सीता का पुरा में नया डैम बनाया जा रहा है। हालांकि यह डैम सिंचाई के लिए है, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो इसका उपयोग पेयजल के लिए भी किया जा सकता है।
राजेश चतुर्वेदी, कार्यपालन यंत्री