इंदौर। पति ने नवविवाहिता पत्नी को पानी-पुरी खिलाने से मना किया तो पत्नी रूठकर खरगोन से इंदौर (करीब 150 किमी दूर) आ गई। पति उसे रातभर तलाशता रहा। दूसरे दिन उसे पता चला कि पत्नी इंदौर के महिला उद्धारगृह में है तो ससुराल के लोग उसे लेने आए। दोनों को समझाइश देकर भिजवाया गया।
दरअसल, दंपती मध्य प्रदेश के खरगोन जिला मुख्यालय के पास एक गांव के रहने वाले हैं। उनकी शादी पांच महीने पहले हुई है। पत्नी शासकीय स्कूल में अध्यापक संवर्ग में शिक्षिका है। मंगलवार को पति-पत्नी सरकारी काम से खरगोन में कलेक्टर कार्यालय आए थे। यहां शाम हो गई। भूख लगने पर पत्नी ने पति से होटल में खाना खाकर घर चलने की बात कही। दोनों ने होटल में खाना खाया। जब दोनों बस स्टैंड पहुंचे तो वहां पानी-पुरी का ठेला देख पत्नी ने पानी-पुरी खाने की बात कही। इस पर पति नाराज हो गया और बोला कि गांव पहुंचने में रात हो जाएगी। पति गांव के लिए बस तलाशने लगा, इसी बीच पत्नी दूसरी बस में बैठकर सनावद पहुंच गई।
सनावद से दूसरी बस से वह सिमरोल तक आई। सिमरोल में सभी सवारियां के साथ वह भी बस से उतर गई। बुधवार अलसुबह दो-तीन घंटे सिमरोल में बिताने के बाद बस से इंदौर आ गई। यहां महिला थाने में जाकर पति की शिकायत करना चाही तो उसे महिला बाल विकास विभाग के वन स्टॉप सेंटर भेज दिया।
वन स्टॉप सेंटर पहुंचकर पत्नी बोली कि पति को मेरी चिंता नहीं। मुझे जोरों की भूख लगी थी, फिर भी उन्हें घर जाने की जल्दी थी। मुझे उनके साथ नहीं रहना। सेंटर से पति से फोन पर बात की, जो उस समय थाने में गुमशुदगी दर्ज करवा रहा था। उसे पत्नी के इंदौर में होने की जानकारी दी तो वह परिवार सहित किराए की कार लेकर इंदौर पहुंचा। पत्नी का सगा भाई भी साथ आया।
पति-पत्नी को साथ बैठाकर समझाया गया। उसे पत्नी की इच्छा का ध्यान रखने को कहा। वहीं, पत्नी को भी भविष्य में इस तरह नाराज नहीं होने की समझाइश दी। दोनों में समझौता हुआ। सेंटर में पत्नी को दो दिन रखने की बात कही तो पति रोने लगा। पति ने कहा कि अब मैं इसे नहीं छोड़ सकता।
दंपती की शादी को पांच महीने ही हुए थे और दोनों के बीच कोई बड़ी लड़ाई नहीं थी। पति ने घर पहुंचने की जल्दबाजी में पत्नी को पानी-पुरी खिलाने से मना कर दिया तो वह दुखी हो गई। दोनों को समझाइश देकर रवाना किया। दंपती ने भविष्य में ऐसा नहीं करने का शपथ-पत्र दिया है।- डॉ. वंचना सिंह परिहार, प्रशासक, वन स्टॉप सेंटर