इंदौर। चर्चित आशा व्यास हत्याकांड के 10 साल बाद अचानक पुलिस को एक गोपनीय चिट्ठी मिली है। इससे हत्याकांड में नए सुराग हाथ लगे हैं। जांच रसूखदारों पर आकर टिक गई है। शक है हत्या अवैध संबंधों और करोड़ों रुपए कीमती जमीन हड़पने के लिए करवाई गई थी। एडीजी का विशेष दस्ता इसकी छानबीन में जुट गया है।
एडीजी वरुण कपूर के मुताबिक, 'ऑपरेशन उजागर' के तहत इंदौर जोन के ऐसे 100 अंधे कत्लों की नए सिरे से जांच करवाई जा रही है जिनकी फाइलें बंद हो चुकी थीं। इन 'कोल्ड केसेस' की जांच की शुरुआत पुलिस ने ठक्कर दंपती, सरोज डोसी और आशा व्यास हत्याकांड से की है। जैसे ही जांच शुरू हुई पुलिस विभाग को एक गोपनीय चिट्ठी मिली। पत्र में दो रसूखदारों के नाम का जिक्र किया गया है। साथ में लिखा है कि सरकारी विभाग में पदस्थ एक व्यक्ति का आशा के घर आना-जाना था। उसके बेटों को यह पसंद नहीं था। उन्होंने आशा के रिश्तेदारों से संपर्क भी किया था। उसके कुछ समय बाद ही हत्या हो गई। इस सूचना के बाद पुलिस की जांच में गति आ गई। पुलिस ने संदिग्धों की जानकारी जुटानी शुरू कर दी है।
जांच डायरी में कई खामियां
एडीजी ने स्कीम-114 में हुए किरीट भाई ठक्कर और वर्षा ठक्कर के कत्ल की फाइल भी बुलवा ली है। संदिग्ध, परिजन और पुराने विवेचकों से पूछताछ की गई है। डायरी में कई खामियां मिली हैं। जिस नौकर ने हत्या की उसे ठक्कर दंपती के पास भेजने वालों के बयान ही नहीं हैं। नौकर कांग्रेस नेता के परिवार के सदस्यों के जरिए पहुंचा था। उसका नाम-पता तो किसी को नहीं पता। बेटा भी उस दिन देरी से घर पहुंचा था। इसी तरह सरोज डोसी केस में भी हत्यारों के तलाश जारी है।