इंदौर। हनी ट्रैप मामले की जांच के लिए सोमवार को हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। याचिका दिग्विजय सिंह भंडारी ने दाखिल की है। याचिका में कहा गया कि मामला हाई प्रोफाइल है। पुलिस इसकी निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती अत: हाईकोर्ट इस मामले की जांच अपनी निगरानी में लेकर कराए। लड़कियों की जमानत पर रोक और फरियादी इंजीनियर के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और दुष्कर्म केस की मांग भी की गई है।
दिग्विजय सिंह भंडारी ने याचिका दाखिल की
याचिकाकर्ता दिग्विजय सिंह भंडारी की ओर से एडवोकेट मनोहर दलाल ने ये याचिका दायर की है। याचिका में पूरे मामले की सीबीआई (CBI) जांच की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने इसके अलावा इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह के खिलाफ पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) और दुष्कर्म का केस दायर करने की भी मांग की है। साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि मामले की आरोपी महिलाओं को अभी जमानत न दी जाए, क्योंकि वे सबूतों से छेड़छाड़ कर सकती हैं।
जांच की निगरानी करे अदालत
हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि चूंकि हनी ट्रैप केस जैसे संवेदनशील मामले की सीबीआई जांच का आदेश हाईकोर्ट ही दे सकता है या फिर राज्य सरकार इसकी अनुशंसा कर सकती है, इसलिए ये पीआईएल लगाई गई है। याचिका में कहा गया है कि सीबीआई पूरे मामले की जांच करे और इसकी निगरानी हाईकोर्ट खुद करे।
इंजीनियर हरभजन सिंह के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और दुष्कर्म केस की मांग
याचिकाकर्ता ने इंदौर नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह के खिलाफ पॉक्सो एक्ट और दुष्कर्म का केस दर्ज करने की भी मांग की है। एडवोकेट मनोहर दलाल का कहना है कि युवती दो साल पहले बालिग नहीं थी। इसलिए पॉक्सो एक्ट लगाया जाए। आपको बता दें कि पॉक्सो एक्ट के तहत आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
आरोपी महिलाओं को न मिले जमानत
हनी ट्रैप मामले में दायर जनहित याचिका में कोर्ट से यह मांग भी की गई है कि आरोपी युवतियों को जमानत न दी जाए। मनोहर दलाल ने इस याचिका पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि यदि आरोपी महिलाओं को जमानत दे दी गई तो वे सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकती हैं या सबूत को नष्ट कर सकती हैं।
प्रिवेंशन ऑफ करप्सन एक्ट के तहत केस दर्ज किया जाए
हनी ट्रैप केस में टेंडर दिलाने और अवैध तरीके के आर्थिक लाभ पहुंचाने की बात भी कही जा रही है, इसको लेकर याचिका में प्रिवेंशन ऑफ करप्सन एक्ट के तहत केस दर्ज करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस मामले में शामिल सौ से ज्यादा लोगों के खिलाफ क्रिमिनल केस रजिस्टर्ड करने के आदेश भी दिए जाएं, क्योंकि स्थानीय पुलिस और स्टेट पुलिस अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम साबित हो रही है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि मामले की जांच में पुलिस की भूमिका के मद्देनजर न्यायपालिका का कर्तव्य है कि वह जनता में कानून के प्रति आस्था और विश्वास बनाए रखे। इसलिए इस केस की सीबीआई जांच का आदेश जल्द से जल्द दिया जाए।