भोपाल। फेमस शेफ कुणाल कपूर, क्या आप जानते हैं, असल में एक डरपोक बालक है। वो खुद को शर्मीला लड़का जरूर कहते हैं, परंतु केवल इसलिए क्योंकि 'शर्मीला' शब्द 'डरपोक' से ज्यादा अच्छा है। वो लोगों से डरता था। सवाल नहीं करता था। पढ़ाई से डरता था। डर के कारण किचिन में छुप जाता था। यहीं पर उसकी दोस्ती 'किचिन' से हो गई और आज 'कुणाल कपूर' एक ब्रांड है।
भोपाल में अपनी कहानी सुनाई
फेमस शेफ कुणाल कपूर भोपाल में थे। वे मास्टर शेफ इंडिया में तीनों सीजन के होस्ट और जज रहे हैं। उन्होंने चंडीगढ़ से होटल मैनेजमेंट कोर्स किया है। वे गुरुवार को भोपाल में एक निजी विश्वविद्यालय में हुए कुकिंग मास्टर क्लास सुपर शेफ जूनियर कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे। यहां उन्होंने अपने बारे में कई सारी बातें शेयर कीं। अपनी कहानी भी सुनाई।
लोग कहते थे 'पढ़ाई कर लो वर्ना हलवाई बनोगे...।
मैं यह बात नहीं जानता कि लोगों के बीच कितना पॉपुलर हूं लेकिन मैं अपने दिल-दिमाग में केवल एक बात याद रखता हूं कि जो भी करूं पूरे समपर्ण के साथ करूं। मैं इस इंडस्ट्री में पिछले 15 साल से भी ज्यादा समय से हूं और अपने करियर से संतुष्ट हूं। पीछे देखता हूं तो कई सफलताएं-असफलताएं दिखती है। मैंने अपने जीवन में कुछ अच्छे तो कुछ गलत फैसले भी किए हैं। 15 साल पहले जब मैं इस इंडस्ट्री में आया था, तब इसे बहुत अच्छा करियर नहीं माना जाता था। लोग कहते थे 'पढ़ाई कर लो वर्ना हलवाई बनोगे...।'
शुरू के 6 साल तो समझने की कोशिश की करता रहा
कुकिंग मेरा शौक जरूर था, लेकिन इसे समझने में मुझे काफी समय लगा। शुरुआत के लगभग छह साल मैं केवल मास्टर्स से इस ट्रेड को समझने की कोशिश करता रहा। 19 साल की उम्र में 15-16 घंटे लगातार काम करना बहुत मुश्किल था। मेरे पास कुछ और करने को था ही नहीं, इसलिए मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। बतौर शेफ आठ साल बिताने के बाद मुझे चार बार बेस्ट रेस्तरां अवॉर्ड मिला। लीला, गुडगांव में मिला बेस्ट इंडियन रेस्तरां अवॉर्ड मेरे करियर का टर्निंग पॉइंट था। इसके बाद मुझे मास्टरशेफ इंडिया शो को होस्ट करने का निमंत्रण मिला। टीवी में मुझे नाम शोहरत दोनों मिले। यहां काम करने के बाद भीड़ के बीच होने वाला भय भी कम हुआ।
गणित से डरकर किचिन में छुप जाता था
वे कहते हैं, सच कहूं तो मैं यहां इसलिए आया क्योंकि मैं गणित में कमजोर था। इस विषय से ऊबकर किचन में जाता था तो वहां मुझे प्रयोग करने की आजादी मिलती थी। मेरे अंदर का एक शर्मिला लड़का खाना बनाते समय बहुत बोल्ड हो जाता था। खाना मेरे लिए अपनी रचनात्मकता को दिखाने का एकमात्र जरिया था। मेरी हिचक मेरे खाने में नजर नहीं आती थी। मैंने ताज होटल में ट्रेनी पद से शुरुआत की। मैं मानता हूं कि तब मैं अच्छा शेफ ट्रेनी नहीं था।