जबलपुर। मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा तो करना चाहते हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जाने से कतराते हैं। मध्य प्रदेश में सरकार एमबीबीएस स्टूडेंट्स के साथ एग्रीमेंट करती है कि वो डॉक्टर बनने के बाद कम से कम 1 साल ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देंगे। 900 डॉक्टरों ने ऐसा नहीं किया। एग्रीमेंट तो किया लेकिन सेवाएं नहीं दीं। घोटाला यह है कि सभी ने ग्रामीण क्षेत्र में सेवा हेतु मिलने वाला स्टाईपेंड भी लिया जो कुल 32 करोड़ रुपए है। अब सरकार उन सभी का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर रही है।
लंबे समय से चल रहा खेल
जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज (NSCB Medical College Jabalpur) के 900 डॉक्टरों को सरकार की इस सेवा-शर्त के उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है। ये डॉक्टर वर्ष 2002 से लेकर 2016 बैच तक के हैं। कॉलेज के डीन डॉ. प्रदीप कसार ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में सेवा देने के लिए इन डॉक्टरों को स्टाईपेंड का भुगतान भी किया गया, लेकिन किसी ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई। डॉ. कसार ने बताया कि सरकार ने सभी 900 छात्रों को स्टाईपेंड के मद में 32 करोड़ रुपए का भुगतान किया है।
डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने MCI का पत्र लिखा
जबलपुर मेडिकल कॉलेज ने अनुबंध शर्तों का उल्लंघन करने वाले डॉक्टर्स का रजिस्ट्रेशन रद्द करने के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) को पत्र लिखा है। इसके पूर्व डॉक्टर्स को नोटिस भी दिए जा चुके हैं, जिसमें शासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं न देने पर किए गए भुगतान को लौटाने का आदेश दिया गया था लेकिन किसी भी डॉक्टर ने इन नोटिस का न तो जवाब दिया और न ही स्टाईपेंड लौटाया। अब जबकि मेडिकल कॉलेज ने इस मामले पर संज्ञान लिया है और इसके आधार पर एमसीआई सभी 900 डॉक्टरों पर कार्रवाई करती है, तो सभी का करियर खतरे में आ सकता है। क्योंकि रजिस्ट्रेशन रद्द होने के बाद ये सभी औपचारिक रूप से डॉक्टर नहीं रह जाएंगे।