भोपाल। भाजपा शासन में आदिवासी ज़मीनों की खरीदी बिक्री में घोटाले की शिकायतों के बीच प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया है। जबलपुर जिले के कलेक्टर भरत यादव ने अफसरों से ज़िले की आदिवासी ज़मीनों का पिछले 10 सालों का लेखा जोखा मांगा है। आरोप है कि बीजेपी सरकार के पिछले 10 सालों के शासन में अलग-अलग तरीकों से न केवल आदिवासियों की ज़मीनें हथियाई गई हैं बल्कि नियम विरूद्ध उनका नामांतरण भी किया गया है। बीजेपी इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बता रही है।
पिछले 10 सालों के रिकॉर्ड तलब
जिले के आदिवासियों को दी गई ज़मीनें खुर्द बुर्द करने के मामले मे जिला प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। मामले में कलेक्टर ने बीते 10 सालों में आदिवासी ज़मीनों की खरीदी बिक्री का पूरा रिकॉर्ड तलब किया है। जिले के कलेक्टर भरत यादव ने सभी एसडीएम को निर्देश दिए हैं कि आदिवासियों की ज़मीनों की बिक्री के साथ उनके द्वारा खरीदी गई ज़मीनों की भी पूरी जानकारी एकत्रित की जाए।
ऐसे हथियाई जा रही आदिवासियों की ज़मीनें
सूत्रों के मुताबिक ये जानकारी निकल के सामने आई है कि कुछ भूमाफियाओं ने जहां आदिवासियों की ज़मीनों को खरीदकर उनका स्थानांतरण कर लिया जबकि कुछ ने कुचक्र रचकर आदिवासी नौकरों के नाम पर किसी आदिवासी से ज़मीन खरीदवा ली और आज अपना कब्ज़ा जमाए बैठे हैं। पूरे मामले को लेकर पूर्व की भाजपा सरकार को भी निशाना बनाया जा रहा है। एक ओर जहां प्रदेश सरकार आदिवासियों के अधिकारों को संरक्षित करने नई योजनाएं लागू कर रही है, वहीं अब भाजपा शासन में आदिवासियों की ज़मीनों के खुर्द बुर्द करने को लेकर प्रशासनिक कड़ाई बरती जा रही है।
बिना अनुमति नामांतरण के भी मामले
भू-राजस्व संहिता के तहत आदिवासी ज़मीनों को बिना कलेक्टर की अनुमति के कोई भी खरीदी या बेच नहीं सकता लेकिन बीते 10 सालों में ऐसी कई ज़मीनें थीं जिन्हें बेचा गया और बकायदा उसका नामांतरण भी कर दिया गया है।
कई सालों से आदिवासी ज़मीनों की बंदरबांट की शिकायत करते आ रहे विधायक संजय यादव का कहना है कि अलग-अलग तरीकों से आदिवासियों की ज़मीनें हथियाई गई हैं। कुछ ग्रामीण इलाकों में तो एक गिरोह भी सक्रिय हो गया है जो आदिवासियों को निशाना बनाकर उनके बही खातों पर लोन ले रहा है और बाद मे उसे हथिया लेता है। वहीं भाजपा कांग्रेस के आरोपों और प्रशासनिक हलचल को राजनीति से प्रभावित बता रही है।