जबलपुर। खुद को चार्टड अकाउंटेंट बताने वाले आदित्य चावला की जमानत याचिका खारिज खारिज कर दी गई है। आदित्य चावला कैनरा बैंक से वाहन लोन घोटाले में सह आरोपी है। सीबीआई कोर्ट ने कहा कि जांच में तह तक जाने के लिए सह आरोपित के बयान की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। अभियान ने आरोप लगाया कि आदित्य चावला ने जांच में सही जानकारी नहीं दी। यहां तक कि अपने निवास का पता भी गलत दर्ज कराया था। इस मामले में मेसर्स जगदम्बा एएमडब्ल्यू ऑटो मोबाइल, योगेन्द्र सिंह, शैलेन्द्र सिंह व श्रीमती प्रतिमा सिंह मुख्य आरोपी हैं।
अभियोजन की ओर से लोक एडवोकेट संजय उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अलावा धोखाधड़ी की धारा-420 सहित अन्य के तहत सीबीआई ने अपराध दर्ज किया है। आवेदक बैंक घोटाले का सह आरोपित है। उसने कैनरा बैंक के साथ धोखाधड़ी की है। इसके तहत मेसर्स जगदम्बा एएमडब्ल्यू ऑटो मोबाइल, योगेन्द्र सिंह, शैलेन्द्र सिंह व श्रीमती प्रतिमा सिंह सहित अन्य अज्ञात बैंक कर्मचारियों व प्रायवेट व्यक्तियों के विरुद्घ आपस में साजिश रचकर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 50 चार पहिया वाहनों के लिए माह अप्रेल-2015 से मार्च 2016 के मध्य 43.77 करोड़ रुपए स्वीकृत कराकर बैंक को नुकसान पहुंचाया।
पूछताछ के दौरान गलत जानकारी दी, सीए की डिग्री भी नहीं दिखाई
आवेदक ने पूछताछ के दौरान अपने निवास का जो पता बताया था, वह उस पते पर नहीं पाया गया। यही नहीं उसने खुद को चार्टर्ड एकाउंटेंट बताया पर वह इस बारे में कोई डिग्री पेश करने में अक्षम रहा। इस आधार पर भी उसका अग्रिम जमानत का आवेदन खारिज किए जाने योग्य है। सीबीआई कोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद अभियोजन की दलीलों पर भरोसा किया और अग्रिम जमानत आवेदन खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ किया कि मामला अनुसंधान के स्तर पर है। ऐसे में अग्रिम जमानत दी गई तो सह आरोपित साक्ष्यों को प्रभावित कर सकता है।